मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

NEWS NEUROTHERAPY AMRITSAR


NEWS NEUROTHERAPY ALL INDIA CENTRE

Amritsar OfficeLudhiana OfficeJammu Office
Office 1
Dr. Ramesh Kumar (Neurotherapist)
Neurotherapy Centre,
Opp. G.ND.U University.,
Near Kabir Park
Amritsar
Timming: Mor 08:00AM-01:00PM
Contact No: 098 033 79000
Office 2
Dr. Ramesh Kumar (Neurotherapist)
Neurotherapy Centre,
Opp Govt Sen Sec School,

Chheharta, Amritsar
Timming: Eve 04:00PM-07:00PM.
Contact No: 098882 76707
Office 1
Dr. Karam jit Singh
Neurotherapy Centre,
Puspa Devi Dharmshala,
Tagor Nagar Near DMC Hero heart
Ludhiana
Timming: Mor 09:00AM-01:00PM
Contact No: 95924 00771
Office 2
Dr. Sumit Mahajan
Neurotherapy Centre,
Shree atam valab jain
dispencry jain nagar talab
tillo, Jammu
Timming: Eve 04:00PM-07:00PM.
Contact No: 094191 10939
   
Chandigarh OfficeJalandhar OfficeBeas OfficeDelhi Office
Dr. Nitin Shrma
Neurotherapy Centre Lajpatrai Nagar
Endusy Gaia Department of Neurotherapy
Chandigarh
Contact No: 087288 18899
Dr. Ram Gopal
172 New Vijay Nagar Near Foot Ball Chowk Jalandhar Punjab
Contact No: 094630 62141
Mandeep Singh
Neurotherapy Centre,
Near Chawla Laboratory,
Gali No 1 beas
Contact No: 098881 47237
Dr Sunil Kumar Saini
Bhai Jogha Singh Gurdwara,
Near Patel Nagar,
Metro Station
Contact No: 09811341330

NEUROTHERAPY FORMULA ,POINTS,TREATMENT,NEWS

                                                              New Neurotherapy formula
           


CAUDA EQUINA PLUS :
I. CNNS - GAS:GAS (ALL 3 SIDE)
II. NEW CNNS - GAS:GAS
III. CNNS - PAN:PAN:GAL:LIV:GAS:GAS:GAL:LIV

DOPAMINE FORMULA :
(20) MEDULLA  (12) GAS-I  (3) SWT + ORGAN CLEAR
Metabolism trt.-
(1) pan (1) pt.gal (1) pt. liv (1) gas only (1) pt.gal (1) pt. liv (1) gas-I (1) pt.gal (1) pt. liv (1) pt spl (1) pt.gal (1) pt. liv (1)pt. liv (1) pt.gal (1) pt. liv (1) pt. mu (1) pt.gal (1) pt. liv (1) pt. rt.ov (1) pt.gal (1) pt. liv (1) lt. ov (1) pt.gal (1) pt. liv
शरीरकेमेटाबॉलिज्मयानेचयापचयसुधारनेकेलियेउपयोगकरतेहै।
Neutral trt.
  1. (1) pt. gal  (1) pt. spl  (1) pt.liv  (1) pt. mu (1) pt. rt. Ov (1) pt. lt. ov
  2. (1) pt. gal  (1) pt. spl  (1) pt.liv  (1) pt. mu (1) pt. WD
  3. (1) pt. gal  (1) pt. spl  (1) pt.liv  (1) pt. mu (1) pt. rt. Ov (1) pt. lt. ov  (1) pt. WD
शरीरमेंकिसीभीप्रकारकेदवाईयोंकेदुष्प्रभावयाकैमिकलअसंतुलनकोन्युट्रलकरनेकेलिये

LATEST NEWS NEUROTHERAPY



प्रिय बंधुवर ,
सादर नमस्कार
विषय –
  1. न्युरोथैरेपी अकैडमी के राष्ट्रीय वार्षिक कार्यक्रम (National annual convention) हेतु आमंत्रण
  2. वार्षिक पत्रिका (magzine) हेतु लेख (Article), सन्देश (message), विज्ञापन तथा विभिन्न मरीजों के प्रगति पत्र भेजने बाबत
महोदय,
अति प्रसन्नता की बात है की विगत वर्षों की तरह भी इस वर्ष न्युरोथैरेपी अकैडमी सूर्यमाल में न्युरोथैरेपी की वार्षिक कार्यक्रम दिनांक 24, 25 व 26 जनवरी 2014 को होना हैं, इस कार्यक्रम में आप सभी को सादर आमंत्रित करते हैं | इनके आलावा न्युरोथैरेपी की वार्षिक पत्रिका (magzine) “ एक आशा की किरण ” का प्रकाशन होना है, इनके लिए आप सभी लेखकगण , न्युरोथैरेपिस्ट तथा आत्मीय बन्धुओं से हम लेख (Article) की अपेक्षा करते है, इनके लिए कृपया निम्न विषयों पर ध्यान देवें –
  • अपना लेख (Article) न्युरोथैरेपी आश्रम के पते पर या email address पर दिनांक 31/10/2013 तक भेजना अनिवार्य है |
  • अपना लेख (Article) अपनी ओरिजिनल सोंच के आधार पर हो , यह किसी भी पत्रिका या इंटरनेट से लिया गया न हो |
  • लेख (Article) हस्त लिखित स्वच्छ शब्दों में या typing किया गया हो |
  • लेख (Article) न्युरोथैरेपी के सन्दर्भ में होना चाहिए, या लेख में न्युरोथैरेपी का उल्लेख होना चाहिये |
  • पत्रिका (magzine) में शुभ सन्देश याने विशिष्ट अतिथियों का blessing letter प्रांतीय या राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च अधिकारी या संस्था का होना चाहिये, यह 30 नवम्बर 2013 तक स्वीकार्य है |
  • मरीजों के case history के लिये इस बार पूर्ण रूप से तैयार किये गए प्रोजेक्ट (मेडिकल रिपोर्ट सहित) भेजना जरुरी है, इसी के आधार पर case history का प्रकाशन किया जाएगा |
  • न्युरोथैरेपी पत्रिका (magzine) में विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए निम्न Rate (दर) निर्धारित किये गए है –
    2nd page and last cover page(Colour)  Rs.1 Lac
    Last cover page (inner)colorRs.50 thousand only
    Full page colour Rs.20,000,Full page B/W Rs.15,000
    Half page Colour Rs.10, 000; Half page B/W 7,500
    Visiting card size (Only for therapists) Rs.1500
    Full page colour (Group Advertisement  for therapists) Rs. 15,000
9888276707 ,9803379000,

NEWS NEUROTHERAPY CENTRE HEALTH CARE NEWS


                न्युरोथेरैपी की क्षमता         

न्युरोथेरैपी परम पूज्य डा. लाजपतराय मेहरा जी के द्वारा खोजा हुआ एक अद्भूत व अनुपम आल्टरनेटिव थेरैपी है,जो बाहर से बिना दवाई (drugless) दिये ही शरीर के विभिन्न रोगों को ठिक करते है,जिनका कोई भी दुष्प्रभाव (side effect) शरीर में नहीं होता,यह दर्दरहित (painless) होता है, यह अन्य सभी थेरैपी से सस्ता व सहज सरल है,इस थेरैपी का परिणाम स्थाई होता है,
क्योकि इनके द्वारा बिमारी से सम्बन्धित अंगो को सीधे ही उकसाने के साथ-साथ विभिन्न पहलुओं में भी उत्तम व कारगार है

प्राकृतिक कार्यो का पुन: संचालन –
 न्युरोथेरैपी द्वारा के शरीर के विभिन्न कोशिकाओं , उतको, अंगो या तंत्रो के बिगडने से आये  विभिन्न बिआरियो को ठिक किया जाता है, इस प्रक्रिया मे शरीर के विभिन्न भागों मे दबाव डालकर शरीर के विभिन भागों में रक्त परिसंचरण को बढाते है, जिससे रक्त के द्वारा उन भागो को सही मात्रा में ओक्सीजन, पोषक तत्व , खनिज पदार्थ, हार्मोंस विटामिन्स आदि प्राप्त होने सेशरीर के प्राकृतिक कार्यो का पुन: संचालन होता है, और बिमारियां अपने आप ठिक होती है ।

शिक्षा के दृष्टिकोण से –
गुरुजी एक उर्जापुंज है,जिनके चेहरे मे वो आभा है जो हमेशा दमकते रहते है, एक अथक साधक है जो दृढ संकल्प से बंधे हुये है और उन्ही दृढ संकल्प के कारण ही आज हमारे पास न्युरोथेरैपी के रुप में अद्भूत व अनुपम शिक्षा प्रणाली है, इस पद्धति द्वारा मेडिकल साईंस के बडी से बडी प्रसिद्ध पुस्तको को बहुत ही सरल विधी से बहुत ही कम दिनो में अभ्यास कराया जाता है, जिससे कम पढे लिखे लोग भीबहुत ही आसानी से कठिन से कठिन विषयों को समझ पाते है, गुरुजी मेडिकल पुस्तको के आलावा सभी प्रकार के विषयों जैसे- आध्यात्मिक,भौगोलिक,गणितिय,प्राकृतिक, व विभिन्न समसामयिक विषयों का शिक्षा प्रदान करते है अर्थात न्युरोथेरैपी एक गागर में सागर के समान है ।

व्याधि परिक्षण के दृष्टिकोण से –
जिस प्रकार समन्दर में  न जाने कितने ही दुर्लभ तत्व छिपे है, उसी प्रकार न्युरोथेरैपी में भी दुर्लभ से दुर्लभ बिमारियों को पहचान कर ठिक करने की क्षमता है,बिमारियां कोई भी हो ये सभी बिमारियां हमारे शरीर के कुछ ही अंगो के बिगडने से ही आते है, विभिन्न प्रकार के व्याधि के लिये शरीर में बहुत से अलग – अलग डायाग्नोस्टिक पाईंट होते है बिमारियां छोटे हो या बडे न्युरोथेरैपी में उन बिमारियों से संबंधित अंगो या डायाग्नोस्टिक पाईंट को शरीर के उपर निश्चित  दबाव देकर अंगो के गडबडी को पहचाना जाता है,जिससे व्याधि परिक्षण में सहजता प्रदान होती है ,और उन अंगो को ही सीधे उकसाकर उनसे आये बिमारियो को दुर किया जाता है । न्युरोथेरैपी की यही क्षमता है कि शरीर मे कितने भी विषमता आ जाये,किन्तु न्युरोथेरैपी द्वारा उन विषमताओं को एक सूत्र में फ़िरोकर समता प्रदान करता है ।

आशा की किरण –
न्युरोथेरैपी एक विश्वास है उन लोगो क लिये जिन्होन आशा ही छोड दिये थे कि मै कभी भी ठीक हो पाऊंगा,जिनका जीवन मझधार में हिचकोल लेते नैया जैसा था, किन्तु न्युरोथेरैपी उपचार से उन सभी के जीवन मे एक आशा की किरण जगी और उन्ही आशाओं से आज वे मुस्कानो के पुष्प के रुप मे प्रफ़ुल्लित हो रहे है और आज भी वे बहुत खुश है, अर्थात न्युरोथेरैपी ने दुखों के धुप से तडपते जीवन को चैन अमन का नवछाया दिया ।

सम्मान और पहचान की दृष्टिकोण से – 
न्युरोथेरैपी आरोग्य प्रदाता के साथ – साथ उन सबको सम्मान व पहचान भी प्रदान करते है, जो न्युरोथेरैपी क साथ सम्पर्कित है, हमें बहुत ही गर्व है कि आज हम न्युरोथेरैपी के वजह से अपने कदम पर खडे हुये है, भटके हुये आबादी में एक पहचान बनाया, अरमानो से सजा सम्मान दिलाया ,जिनका कल्पना कभी हमने किये भी नही थे,आज देश के चारों दिशाओं में अपनत्व से परिपूर्ण जान पहचान है, ये सब न्युरोथेरैपी के कारंण ही संभव हो पाया है, अर्थात न्युरोथेरैपी दाता है, भाग्य विधाता है, जिनके बिना हमारा विस्तार संभव नही था ।

राष्ट्र धरोहर –
न्युरोथेरैपी अनमोल धरोहर है,जो हमारे  व देश के लिये गौरव की बात है, जिनका अविष्कार  हमारे देश के माटी पुत्र, सच्चे देशभक्त, जिनके कण – कण में हमेशा भारत भूमि की गौरवगान झलकता है, त्याग समर्पण के धनी,जिनका स्नेह सर्वोपरि है, ऐसे महान विप्र परम पूज्य गुरूजी डा. लाजपतराय मेहरा जी ने किया है, जिन्होने लोगो के जीवन शक्ति को बढाया, आर्थिक सम्पन्नता का कारण बना और ऐसा साधन जिनमें बिना धन के ही आत्म सम्मान, यश,निरोग प्राप्त करने का निशस्त्र उपकरण है, इस स्थिति में हमारे विधि अनुसार इन्हे सार्वजनिक रुप से राष्ट्र धरोहर घोषित करना चाहिये ।

दृष्टांत –

आने वाले दिनों में न्युरोथेरैपी उन सीमाओं को नाप लेंगे जो अभी आंखों से दिखाई नही दे रहे है एक गति बनकर पुरे विश्व से रोगों को रोगमुक्त  करेंगे, क्योंकि हमें मालूम है,कि आजकल भौतिक सुख-सुविधाओं के कारण मनुष्य लचर होते जा रहे है, खाने – पीने व रहन सहन में बदलाव आने से वे अनावश्यक वस्तुओं जैसे – रासायनिक दवाईयां, रासायनिक अनाज, जंक /फास्ट फूड  ,प्रीजर्वेटीव मटेरियल आदि को आत्मसात कर रहे है, जिनके वजह से रोग हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे है, और हमारे शरीर के प्राकृतिक रसायन को बाधित कर रहे है, उन अवस्था में न्युरोथेरैपी द्वारा शरीर के विभिन्न अंगो को बिना दवाईयों के सीधे ही उकसाकर शरीर को निरोग बनाने की प्राकृतिक क्षमता है ।

परिधी –
न्युरोथेरैपी एक बिन्दु से निकलकर आज उस परिधी में पहुंच चुका है, जिसे शायद ही हम छू सके, आज यह परिधी हमारे लिये अपूर्ण ही होगा , इन परिधियों में आज देश के हर राज्यों जैसे – अरुणाचल प्रदेश से लेकर गुजरात तक तथा जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लगभग हजारों न्युरोथेरैपी सेन्टर स्थित है, इनके आलावा न्युरोथेरैपी विश्व के कई देशों जैसे – आस्ट्रेलिया,लंदन, इटली, कनाडा मारिशस, आदि में हैं , जहां पर न्युरोथेरैपी का यश-रुपी सुगन्ध सदैव बह रहा है, जहां लाखों लोग रोजाना उपचार ले रहे है , और रोग बिन्दु मुक्त हो रहे है ।

सतत विचारधारा –
न्युरोथेरैपी का विचारधारा हमारे भारतीय संस्कृति पर आधारित है,जो जनमानस को समर्पित है, यहां कैशल –कला गुरुकुल की तरह है, यहां आध्यात्म-भक्ति, सेवा-समर्पण, लेखन-पाठन, खेल-सहयोग की भावना से परिपूर्ण है, हमारे गुरुजी डा. लाजपतराय जी मेहरा जी ग्यान का असीम सागर है,जो सभी विषयों में पारंगत है, यह निरोग को हरने वाले भगवान धनवन्तरी स्वरुप छवि रखते है, गुरुजी का अरमान हर एक लोगों के हाथों मे न्युरोथेरैपी का संजान हो, गुरुजी अभी भी लगातार कई घण्टो तक पढने की क्षमता रखते है ।

दुर्लभ ऊपचार –
न्युरोथेरैपी आज बिना दवा के दुनिया के विभिन्न बडे से बडे बिमारियां जैसे – मोटर न्युरान, मल्टिपल स्क्लेरोसिस, मस्क्युलर डिस्ट्रोफ़ी, पर्किन्सन, सेरेब्रल एट्रोफ़ी, मेन्टल रिटार्डेशन बच्चे, सेरेब्रल पैल्सी, पैरालिसिस, कैन्सर, ऐड्स, तथा विभिन्न दुर्लभ बिमारियों को बढने से रोकते ही नहीं अपितु उन्हे रोककर पुरानी स्थिति याने सुधार वाली स्थिति में लाते है, जिससे मरीज अपना काम बिना सहायता के स्वयं ही कर पाते है, यह क्षमता शायद न्युरोथेरैपी के आलावा दुनिया में कहीं भी नहीं ।

एक दिशा –
न्युरोथेरैपी एक दिशा है, जो पथ में भटके अनगिनत बिमारियों से ग्रसित लोगों का जो जीवन के सफर में कुण्ठित हो चुके दर दर भटक कर, सही समाधान नही मिले है उनके लिये न्युरोथेरैपी एक कारगार पद्धति है,जो मरीजों के रग-नस में रक्तधार बनकर प्यास के समान शरीर के कण-कण में पहुंचकर रोग तडपन को दुर करके जीने की एक नई दिशा प्रदान करने की क्षमता रखते है

स्वप्न निशा –
न्युरोथेरैपी दर्द से कराहते जिन्दगियों में एक लय बनकर जीवन कोशिकाओं को शीथिल – अनुशीथिल करके हमेशा स्पंदित होकर जीवन अंतरंग को एक शांति प्रदान करती है, स्वप्न निशा बनकर सुख-चैन भरी जिन्दगी बनाती है, हर कसक को हरती है तथा हरेक का स्वप्न साकार करने की क्षमता रखती है ।

अंगोत्तेजन –
न्युरोथेरैपी के द्वारा शरीर के उन अंगो को सीधे उकसा सकते है,जो अपना कार्य सही रुप से नही कर पा रहे है, और उन अंगों के बिगडने से ही कई प्रकार के बिमारी या लक्षण उत्त्पन्न होते है जैसे – लिवर के बिगडने से कई कार्य बाधित होते है, इनके बिगडने से शरीर के विभिन्न अंगों को  सही मात्रा में कार्य करने के लिये  कच्चा पदार्थ प्राप्त नही होंगे, पाचन शक्ति कमजोर हो जायेगा,तापमान अनियमित हो जायेगा । उसी प्रकार पैन्क्रियास, स्टमक, इंटेस्टाईन, किडनी, जननांग,मष्तिस्क,तथा विभिन्न ग्लैण्ड आदि में कोई भी कार्य निश्चित न हो तो उनसे सम्बन्धित बिमारियां या लक्षण उत्त्पन्न होते है, उस स्थिति में शरीर के इन विभिन्न अंगो को एक-एक करके उकसाकर उनके कार्य को पुन: सही अवस्था में लाते है, तथा उनसे सम्बन्धित बिमारियां दूर होते है,जिनका कोई साईड इफैक्ट नही होता और न ही दूसरे अंग प्रभावित होता है, अर्थात न्युरोथेरैपी द्वारा इच्छानुसार शरीर के अंगो ऊकसाने की क्षमता रखते है |

सूत्र निर्माण की दृष्टिकोण से –
न्युरोथेरैपी साइंटिफिक विधी पर आधारित है, इनमें मरीजों को वही उपचार दिये जाते है जो उनके बिमारियों के लिये उपयुक्त हो, इनमें बाहर से कोई भी दवाईयां मरीज को नहीं दिये जाते , तथा बिना वजह के दुसरे अंगो को उकसाया भी नही जाता,इनमें उसी अंग को उकसाते है जो उस बिमारी के लिये उचित रसायन या पदार्थ बनाते हो तथा इस रसायन व पदार्थ से ही विभिन्न बिमारियां ठीक होते है, न्युरोथेरैपी में विभिन्न अंगो को ध्यान में रखकर सूत्र या फ़ार्मूला तैयार करते है,तथा विभिन्न फ़ार्मूलाओं से ही न्युरोथेरैपी उपचार या ट्रीटमेण्ट बनते है,जिनसे बिमारी को ठीक करने की क्षमता रखते है 

NEWS FOR NEUROTHERAPY NEWS

invitation of annual convention 2014 of Neurotherapy academy suryamal & ek asha ki kiran neurotherapy magazine

Dr. Lajpatrai Mehra (Founder of Neurotherapy)
Dr. Lajpatrai Mehra, was born in a highly respected family of Amritsar, as the 7th offspring of Sri. Ramgopal Mehra and Smt. Kesara Devi, on 23rd August 1932. A living legend of his times, he is renowned for developing a novel technique (LMNT) of curing the masses without recourse to medicines, and for his selfless and dedicated service to humanity. 


सोमवार, 30 दिसंबर 2013

HAPPY NEW YEAR 2014 NEUROTHERAPY HEALTH CARE CENTRE






दूध से अधिक गुणकारी होता है दही

दही दूध से अधिक गुणकारी होता है। दही जमने की प्रक्रिया में दूध में उपस्थित लेक्टोज अम्ल में बदल जाता है इसलिए दही जल्दी पचने वाला बन जाता है। यह विटामिन ए तथा बी का एक अच्छा स्रोत है। दूध की की तरह इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज, लवण, कैल्शियम और फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में होते हैं। भारत के प्राचीन ग्रंथों में दही का नियमित सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बताया गया है। यह शरीर में लाभदायी जीवाणुओं की वृध्दि को उत्तेजित करता है तथा हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है। शरीर में जरूरी विटामिनों का निर्माण भी लाभदायक जीवाणु करते हैं जो दही में पाये जाते हैं। दही से पेट में अम्ल नियंत्रित रहता है। गर्मियों में दही की लस्सी बलवर्ध्दक एवं तृप्तिदायक पेय माना जाता है। इसमें विभिन्न रोगों का शमन करने का गुण भी रहता है। भूख कम लगना, भोजन का ठीक से पाचन नहीं होना, पेचिश एवं दस्तों के उपचार के लिए दही का निमयित सेवन भोजन के साथ या बाद में करना चाहिए। नियमित दही का सेवन करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है किन्तु रात्रि में दही का सेवन नहीं करना चाहिए। दही यकृत, मस्तिष्क एवं हृदय को बल प्रदान करता है। रक्त में कोलेस्ट्रोल एक चर्बीयुक्त पदार्थ होता है जो रक्त वाहिनियों में जमकर रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर देता है, परिणामस्वरूप मस्तिष्क एवं हृदय रोग हो जाते हैं। अत: हृदय रोगी को अपने भोजन में नियमित रूप से दही को शामिल करना चाहिए। दही में काली मिर्च का चूर्ण मिला कर इससे बाल धोने से बाल काले, घने एवं मुलायम रहते हैं। दही में बेसन मिलाकर बालों में लगाने से रूसी दूर होती है। दही की ठंडी मलाई पलकों पर लगाने से आंखों की जलन एवं गर्मी दूर होती है। चार पिसी काली मिर्च के साथ 100 ग्राम दही का एक माह तक सेवन करने से पुराना सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है। दही में नौसादर मिलाकर लगाने से दाद तथा फोड़े फुंसियां ठीक रहते हैं। पिसी अजवायन एवं सेंधा नमक मिलाकर दही सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।

हानिकारक है चाकलेट HAPPY NEW YEAR 2014

चाकलेट हम सभी को अच्छी लगती है। तरह-तरह के स्वाद और रंग हमें चाकलेट की ओर खींच ले जाते हैं और हम बड़े शौक से चाकलेट खा लेते हैं। चाकलेट खाने में तो स्वादिष्ट लगती है, लेकिन जानकारों का कहना है कि चाकलेट नुकसानदायक भी होती है। यह तो सभी जानते हैं कि चाकलेट खाने से दांत खराब हो जाते हैं। लेकिन इसके अलावा चाकलेट हृदय और फेंफड़ों को भी नुकसान पहुंचाती है। चाकलेट की लोकप्रियता के कारण ही अनेक नामी कंपनियां चाकलेट का निर्माण कर रही हैं और विज्ञापनों से हमें अपने मायाजाल में फंसाती जा रही है। चाकलेट का निर्माण कोको नामक फल के चूर्ण से होता है। इस फल को सुखाकर उसकी गिरी को निकालकर उसका चूर्ण बना लिया जाता है। गिरी के चूर्ण को कोको का दुध वेजिटेबल आयल तथा गाय और भैंस का दूध मिलाकर जमा दिया जाता है। बर्फ की तरह जमाकर चाकलेट के टुकड़े काटकर पैक कर लिये जाते हैं। देखने में इनमें कोई हानिकारक तत्व नहीं पता लगता लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कोको के दूध और गिरी में हानिकारक रसायन होते हैं। ये रसायन स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होते हैं। कोको का दूध और गिरी में फइनायल, जायमीन और 382616_106550162792612_1280384074_n थायब्रोमीन नाम के कार्बानिक यौगिक होते हैं जिनका असर उत्तेजनाकारक होता है। जब फिनायल इथायल शरीर में पहुंचता है तो पहले वह भीतरी सतह पर विद्यामान न्यूरान्स एवं दूसरे तंत्रिका कोषों पर उपस्थित रेसपिरेटरी का जो उद्दीपन करता है उसी से डीएनए और जीन सक्रिय होते हैं। इससे दिल की धड़कने बढ़ती हैं। चाकलेट के सेवन से तीनों रसायन हमारे शरीर में चले जाते है। इनका असर चयापचय की क्रिया पूरी होने तक रहता है। चाकलेट में प्रयुक्त होने वाले वेजिटेबल आयल में निकिल धातु होता है जो हृदय रोग के लिए खतरनाक है। यह निकिल शरीर में पहुंचकर फेफड़ों पर जम जाता है। जो सेहत के लिए खतरा पैदा करता है। इसके सेवन से मोटपा, मधुमेह, दिल की बीमारी और कैंसर भी होता है। कहा जाता है कि चाकलेट अधिक सेवन से उतना ही खतरा है जितना गुटखा खाने से होता है। इसलिए बच्चाेंं को चाकलेट खाने से रोकना चाहिये क्योंकि यह एक मीठा जहर है। इसको धीमा जहर भी कहा जा सकता है।

रविवार, 29 दिसंबर 2013

HAPPY NEW YEAR 2014 NEUROTHERAPY CENTRE

Best Neurotherapy Treatment center in punjab amritsar, specialist in Cerebral Palsy Treatment.
You all glad to know that Neurotherapy is an Indian ancient therapy, which is Best, Cheapest and Medicine-less Therapy.

Our Team Specialist in

* Diabetes control via Neurotherapy.
* Fits and Epilepsy Treatment.
* Cerebral Palsy Treatment.
* Child Mentally Retire Treatment.

Now Dr. Ramesh Kumar (Neurotherapist) who born and brought up on the sacred land of Amritsar, Put effort to open the Neurotherapy Center in Amritsar.

थायरॉइड संबंधी गड़बड़ियां,थायरॉइड को ‘खामोश’ मर्ज कहा जाता है

स्टोरी शालिनी
देश में करीब 4 करोड़ लोग थायरॉइड से ग्रस्त हैं। मधुमेह के बाद इसकी सबसे बड़ी संख्या है। थायरॉइड संबंधी गड़बड़ियां भी उतनी ही व्यापक हैं, जितना मधुमेह लेकिन इनका पता नहीं लगता। 
 क्योंकि इनके शुरुआती लक्षण इतने हल्के होते हैं कि मरीज को पता ही नहीं लगता कि कुछ गड़बड़ है।
थायरॉइड गले में स्थित एक छोटी सी ग्रंथि होती है। यह ग्रंथि संतुलित मात्रा में थायरॉइड हार्मोंस उत्पन्न करके मेटाबॉलिज्म को सही बनाए रखती है। जब इस ग्रंथि में कोई गड़बड़ी होती है तो इसमें से बहुत अधिक मात्रा में या कुछ कम मात्रा में हार्मोंस निकलने लगते हैं, जिसकी वजह से थायरॉइड की समस्या शुरू होती है। थायरॉइड हार्मोंस जब शरीर में कम काम करें तो उस स्थिति में हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या उत्पन्न होती है।
रोग से जुड़े तथ्य
विश्व की 2 से 5 प्रतिशत महिलाएं थायरॉइड की बीमारी से ग्रस्त हैं। केवल भारत में ही 2 करोड़ थायरॉइडिज्म के मरीज हैं। थायरॉइड के हर 10 मरीजों में से 8 मरीज महिलाएं ही होती हैं। करीब 4 करोड़ भारतीय थायरॉइड से ग्रस्त हैं। मधुमेह के बाद इसकी सबसे बड़ी संख्या है। थायरॉइड संबंधी गड़बड़ियां भी उतनी ही व्यापक हैं, जितना मधुमेह लेकिन इनका पता नहीं लगता। थायरॉइड को ‘खामोश’ मर्ज कहा जाता है, क्योंकि इनके शुरुआती लक्षण इतने हल्के होते हैं कि मरीज को पता ही नहीं लगता कि कुछ गड़बड़ है। जब तक इन लक्षणों का पता चलता है वे अधिक गंभीर हो जाते हैं।
यह हैं लक्षण
* हाइपोथायरॉइड की शिकायत होने पर मरीज की कार्यक्षमता कम हो जाती है। मेटाबॉलिक रेट कम हो जाता है।
* रोगी को डिप्रेशन महसूस होता है। वह बात-बात में भावुक हो उठते हैं, कमजोरी, काम में अरु चि, थकान महसूस होने लगती है।
* जोड़ों में पानी आ जाता है जिससे दर्द होता है और चलने में भी दिक्कत होती है।
* मांसपेशियों में हल्का सा पानी भर जाता है, जिसे मालेनजिया कहते हैं।
* चलते-फिरते हल्का दर्द होता है।
* बालों का झड़ना और पतला होना, चेहरा सूजा हुआ लगना, रूखी आवाज, बहुत धीरे-धीरे और वक्त लगाकर बात करना।
* कब्ज की शिकायत, नींद अधिक आना, लो ब्लड प्रेशर होना भी इसके कारण हैं।
* हृदय की झिल्ली में पानी जमा होने लगता है जिससे हृदय की क्रिया पर भी फर्क  पड़ता है। इसे पैरीकॉर्डियल इन्फ्यूजन कहा जाता है।
* धड़कन की गति धीमी पड़ जाती है। प्रजनन क्षमता पर फर्क  पड़ता है। मासिक धर्म के दौरान अधिक खून जाता है। खून के थक्के अधिक आते हैं। मासिक चक्र नियमित नहीं रहता है। जब भी ऐसे लक्षण 20 से 40 उम्र की महिलाओं को महसूस हो तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। मोटापे से पीड़ित रोगियों को मालूम नहीं होता कि बहुत हद तक उनके मोटापे का जिम्मेदार थाइरॉइड हार्मोन असंतुलन है। वक्त पर इसका इलाज करा लिया जाए तो मोटापे और कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण किया जा सकता है और शरीर को बाकी दुष्प्रभावों से भी बचाया जा सकता है।
जरूरी है जांच
थायरॉइड ग्रंथि से कितने कम या ज्यादा मात्रा में हार्मोंस निकल रहे हैं, यह खून की जांच से पता लगाया जाता है। खून की जांच तीन तरह से की जाती है, टी-3, टी-4 और टीएसएच से। इसमें हार्मोंस के स्तर का पता लगाया जाता है। मरीज की स्थिति देखकर डॉक्टर तय करते हैं कि उसको कितनी मात्रा में दवा की खुराक दी जाए।
हायपरथायरॉइड के मरीजों को थायरॉइड हार्मोंस को ब्लॉक करने के लिए अलग किस्म की दवा दी जाती है। हाइपोथायरॉयिडज्म का इलाज करने के लिए आरंभ में ऐल-थायरॉक्सीन सोडियम का इस्तेमाल किया जाता है, जो थायरॉइड हार्मोंस के स्त्रव को नियंत्रित करता है। तकरीबन 90 प्रतिशत मामलों में दवा ताउम्र खानी पड़ती है। पहली ही स्टेज पर इस बीमारी का इलाज करा लिया जाए तो रोगी की दिनचर्या आसान हो जाती है।
थॉयराइड में परहेज
हाइपोथायरॉइड में हार्मोंस का बहुत कम स्राव होता है जिसकी वजह से रोगी को कमजोरी, सुस्ती, मोटापा, कब्ज, थकावट, भूख न लगना आदि की शिकायत शुरू हो जाती है पर कुछ बातों का ध्यान रखकर आप इस बीमारी से निजात पा सकती हैं। आइए जानें विशेषज्ञों की राय-
* मिर्च-मसालेदार, तली-भुनी, डिब्बाबंद चीज, मैदे की बनी चीजें, फास्ट फूड आदि का कड़ाई से परित्याग करें।
* मद्यपान, धूम्रपान, गुटका, तंबाकू, चाय, काफी, चॉकलेट आदि चीजों को छोड़कर ही इस रोग से स्थाई छुटकारा मिल सकता है।
- गेहूं, चना, सोयाबीन तथा जौ की मिश्रित आटे की रोटी का सेवन करें। इस रोग में बहुत प्रोटीनयुक्त आहार न लें। छिल्के वाली दालों का सेवन भी बहुत लाभकारी रहेगा।
* सभी फल (केला छोड़कर), हरी सब्जी, तथा थोड़ा सा ड्राई फ्रूट को अपने खाने में शामिल करें। अनाजों का सेवन भोजन की मात्रा में कम करें।
* अंकुरित अनाज, मट्ठा या छाछ, सलाद रोजाना लें। दिन में अधिक बार कुछ न कुछ खाते रहने की आदत से बचें।
* निठल्ले बैठने रहने की आदत को छोड़ कर काम में व्यस्त रहने की आदत बनाएं।
* इस रोग में तनाव, कुंठा, क्रोध को अपने सिर पर लादे नहीं बल्कि इनका सूझबूझ तथा सामान्य बुद्धि से हल निकालें। अपनी जीवन शैली को बदलने का प्रयास करें।
* अपनी दिनचर्या में योग को शामिल करें। इस रोग में भस्त्रिका, कपालभाति एवं अग्निसार प्राणायाम काफी कारगर है। इनसे चयापचय गति बढ़ती है तथा सुस्ती, आलस्य तथा थकावट को दूर करने में उपयोगी सिद्ध होता है।
* चिंता, तनाव, भय, असुरक्षा, संवेदनशीलता तथा निराशा आदि जैसे कारण जो इस रोग के लिए प्रमुख उत्तरदायी है, को ध्यान, योगनिद्रा एवं शिथिलीकरण से स्थायी रूप से दूर किया जा सकता   है। इनका प्रतिदिन आधे घंटे है।
* इस रोग को छुप-छुप कर शरीर में घर बनाने से रोकने का सबसे जरूरी उपाय यह है कि इसके लक्षणों का जरा सा भी संदेह होने पर अपने चिकित्सक से परामर्श कर इसकी जांच कराएं। इस रोग की पुष्टि होने पर हर्मोन संतुलन के यथासंभव उपाय अपनाएं, समयानुसार व्यायाम और परहेज जरूर करें।

सेक्स के दौरान 10 बातों को बिलकुल न भूलें...

इस दुनिया में उस इन्सान से ज्यादा खुश और कोई नहीं होगा जिसने सेक्स के दौरान अपनी पार्टनर को खुश कर दिया हो। हालांकि महिलाएं इस बारे में खुलकर नहीं बता पातीं। हालांकि बहुत अधिक प्यार से कुरेदने पर वे थोड़ी-सी कमी की बात कह सकती हैं, लेकिन असलियत में यह कभी बहुत अधिक भी होती है क्योंकि खासकर भारतीय समाज में महिला का सेक्स के बारे में कुछ खुलकर बोलना अच्छा नहीं माना जाता है।

...लेकिन दुखी होने की जरूरत नहीं है। बेडरूम में चुटकी काटने का भी अपना मजा है या फिर प्यार में पूरी तरह सराबोर होने का जो आनंद है वह छोटी-मोटी कमियों को नजरअंदाज कर देता है। आइए देखते हैं कि प्यार में कैसे रोमांच का तड़का लगाएं और कैसे रच डालें प्यार के नए अध्याय.

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1. सबसे अहम और महत्वपूर्ण बात यह है कि आप हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आपकी पार्टनर का भग शिश्न (क्लिटरिस) कहां है? यह बिलकुल आपके सामने होता है। यदि सेक्स के आनंद को बढ़ाना चाहते हैं तो आप इसे ना पहचानने का जोखिम बिलकुल न लें। हमेशा ध्यान रखें कि यह ठीक कहां है, न इसके ऊपर है और न ही इसके नीचे। अपना ध्यान पूरी तरह से इस पर केन्द्रित करें और इसके साथ लम्बे समय तक खेलने का मजा लें।
2. साथी के साथ बिस्तर पर आने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि आपके पैरों में मोजे नहीं होने चाहिए क्योंकि ऐसे समय पर गंदे मोजे या इनकी बदबू आपके साथी को नाराज कर सकती है। आप कह सकते हैं कि आप पूरी तरह से नग्न हो जाएं, लेकिन अगर आपने मोजे पहन रखे हैं तो आपको सेक्सी नहीं माना जा सकता है। ऐसे समय पर आप ऐसे किसी भी गैर सेक्सी चीज को जल्द से जल्द हटा दें।
3. चिकनाई ... चिकनाई .... और चिकनाई। हो सकता है कि आप अपने द्रव से ही सराबोर हो रहे हों, लेकिन आपका जो मुख्य काम है वह चिकनाई बिना नहीं हो सकता है। इसलिए आपको चिकने पदार्थों, द्रवों की जरूरत होगी तभी आपका असल काम असल अर्थ में शुरू हो सकेगा।
4. कुछ डर्टी टाक हो जाए.... कुछ महिलाएं तब बहुत अधिक उत्तेजित होती हैं अगर वे अपनी कल्पनाओं में भी कामुक होने लगती हैं। इसलिए इस बात को लेकर कुछ डर्टी टाक करें कि आप दोनों मिलकर क्या करने वाले हैं। हो सके तो इस काम के लिए अपने साथी को भी प्रोत्साहित करें क्योंकि ऐसा करने से आप दोनों का ही सबसे बड़ा सेक्स आर्गन 'आपका ‍मस्तिष्क' सेक्स के लिए सक्रिय हो जाएगा और पूरी तरह से उत्तेजित भी हो जाएगा।
5. कई महिला और पुरुष ऑरल सेक्स भी पसंद करते हैं। अत: पुरुष यदि ऐसा करते हैं तो पहले गीले हो जाएं क्योंकि सूखा रहना आपके साथी को परेशान ही नहीं वरन तकलीफ भी दे सकता है। यह सुनिश्चत करें ‍कि अगर आप अपनी जीभ को साथी की योनि में डाल रहे हैं तो यह आपकी लार से पर्याप्त गीली हो। आपकी सूखी जीभ साथी की योनि में खुजली पैदा कर सकती है या इसे घायल कर सकती है।
6. अपने हाथों पर गौर करें.... यह बात ध्यान रखें कि आप और आपकी साथी के बीच हाथ हैडलाइट का काम करते हैं...हाथ ऐसे लगाएं मानो रोशनी डाल रहे हों। आमतौर पर जो बात हमें पसंद नहीं होती है उसे भी हम अपने हाथ के इशारों से बताते हैं कि ऐसा न करें।

इसलिए ध्यान रखें कि आप कितने ही उत्तेजित क्यों न हो गए हों, लेकिन महिला के निपल्स को ना तो जोर से भींचें, ना दबाएं और ना ही मुंह से काटें। एक महिला का यह सबसे ज्यादा संवेदनशील हिस्सा होता है इसलिए इन्हें इतनी ही संवेदनशीलता के साथ प्यार करें

7. कभी-कभी हल्का सा स्पर्श आपके पार्टनर में उत्तेजना का संचार कर देता है। ...और उसकी शारीरिक क्रियाओं से आप इस सुखद स्पर्श का अनुमान भी लगा सकते हैं। रगड़ने की कोशिश तो बिलकुल न करें। 

सेक्स के दौरान हलके हाथ से नाजुक अंगों को सहलाना बहुत अधिक प्रभावी होता है। आपके होठों का एक हल्का सा चुम्बन बेहतर है। इसलिए लैब्राडोर रिट्रीवर की तरह से अपनी जीभ से चाटने का काम नहीं करें। इससे तो आपका साथी गुस्सा भी हो सकता है।

8. बहुत ही हल्के से कुतरने जैसा कुछ करें। अर्थात कहीं-कहीं आप हलके से अपने दांतों का उपयोग भी कर सकते हैं। पर ध्यान रहे यह उत्तेजना बढ़ाने के लिए है दर्द बढ़ाने के लिए नहीं। 

आप जानते हैं कि महिला साथी को सबसे अच्छा क्या लगता है? वह उस आदमी को प्यार ही नहीं करती वरन पूजती है जो कि उसकी हाथ की अंगुलियों या पैरों की अंगुलियों को बारी-बारी प्यार से चूमें और चूंसे। पुरुषों को ऐसा करना चाहिए मानो उनका मुंह एसबेस्टस का बना हो और महिला प्यार की आग में जल रही हो।

9. जब आप सेक्स के लिए तैयार हो रहे हों तो उस समय अपने ऊपर तनाव को हावी न होने दें। अगर आप किसी महिला को गहरे और एकाग्रचित्त होकर देखने लगेंगे तो ऐसा उसे ऐसा लगेगा मानो आप अपने दिमाग में कुछ योजनाएं बना रहे हैं, उसे प्यार नहीं कर रहे हैं।

इसलिए अपने साथी पर जब भी निगाह डालें, हल्की-सी मुस्कान के साथ। उसे प्यार से निहारें। आपके देखने के अंदाज में इतना असर होना चाहिए कि आपके पार्टनर के पूरे शरीर में सनसनी फैल जाए। फिर देखिए कि उसे कितना अच्छा लगता है।

10. अपनी प्रेयसी के स्तनाग्रों (निप्पल्स) को कभी ना भूलें। वैसे भी स्त्री के सबसे आकर्षक अंगों में जहां मर्द की नजर सबसे अधिक ठहरती है, वे स्तन ही तो हैं। आपके हाथों को स्त्री की योनि तक पहुंचाने से पहले इन्हें निपल्स पर रखें यानी आपके प्यार का पहला स्टॉप। ... और फिर धीरे-धीरे चलते हुए अंतिम स्टॉप तक पहुंचें।

इसके साथ ही ध्यान रखें कि कोई भी स्टॉप न छूटे। प्रत्येक स्टॉप को आप उसके हिस्से का 'प्यार का ईंधन' देते जाने का काम करें। तभी आपके के सेक्स का सुहाना सफर पूरा होगा और अंत में आपको ऐसा लगेगा कि आप दो नहीं एक शरीर और एक जान हैं।

सेक्स करो फिट रहो, फायदे और भी हैं..

न्यूयॉर्क। सेक्स करना एक्सरसाइज की तरह ही फायदेमंद है। यह बात कई तरह के शोधों से सिद्ध हुई है। एक ताजा रिसर्च के अध्ययन के मुताबिक सेक्स सबसे अधिक आनंददायक व्यायाम का तरीका है, जिससे बहुत सारे लाभ महिला और पुरुष दोनों को प्राप्त होते हैं। इस दौरान पुरुष औसतन 4.2 कैलोरी प्रति मिनट खर्च करते हैं, जबकि महिलाएं इन रूमानी पलों में 3.1 कैलोरी खर्च करती हैं।

लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक सेक्स से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ विलियम मास्टर और वर्जिनिया जॉनसन ने 21 कपल्स की दिल की धड़कनों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि उनका दिल प्रति मिनट में अधिकतम 180 बार धड़कता है।
रिसर्च कर रहे इन विशेषज्ञों ने अध्ययन में हिस्सा लेने वाले कपल्स के हाथों में सेंसवियर बांध दिया था। सेंसवियर के जरिए ही वह इस इस बात पर नजर रख पाए कि सेक्स के दौरान कपल्स ने कितनी ऊर्जा खर्च की। हरेक प्रतिभागी को 30 मिनट तक एक्सरसाइज करने के लिए भी कहा गया।

रिसर्च से प्राप्त नतीजों में पाया गया कि सेक्स के वक्त पुरुष औसतन 101 कैलोरी खर्च करते हैं जबकि जिम में वह 276 कैलोरी खर्च करते हैं। वहीं महिलाओं के मामले में पाया गया कि वह सेक्स में 69 कैलोरी खर्च करती हैं और एक्सरसाइज में 213 कैलोरी। रिसर्चर्स के अनुसार रिसर्च से ये पाया गया है कि सेक्स से एक्सरसाइज जैसा ही लाभ मिलता है और ये बॉडी को फिट रखने के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

हेल्थ टिप्स

* पसीने में पानी पीना, छाया में बैठकर अधिक हवा खाना, छाती व सिर में दर्द पैदा करते हैं।

* भोजन के दौरान थोड़ा-थोड़ा पानी पीना, भोजन के बाद ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए।

* दिनभर बैठक का काम करने वाले व्यक्ति को प्रातः घूमना चाहिए।

* जूठा पानी पीने से टीबी, खांसी व दमा आदि बीमारियां पैदा होती हैं।

* पेट में पानी हो तो दो गोले नारियल का पानी नित्य सेवन करें।

* महिलाओं को विशेषकर अंगूर सेवन ज्यादा करना चाहिए।

* दही में बेसन मिलाकर उबटन की तरह मलें, शरीर की बदबू रफूचक्कर हो जाएगी।

* सांस फूलने पर दही की कढ़ी में देसी घी डालकर कुछ दिन खाएं।

* लू से छुटकारा पाने के लिए मिश्री के शरबत में एक कागजी नीबू निचोड़कर पीएं।

* कांच या कंकर खाने में आने पर ईसबगोल भूसी गरम दूध के साथ तीन समय सेवन करें।

* घाव न पके, इसलिए गरम मलाई (जितनी गरम सहन कर सकें) बांधें।www.neurotherapist.co.in

शनिवार, 28 दिसंबर 2013

गेहूं के जवारे से करें हर रोग का इलाज


प्रकृति ने हमें अनेक अनमोल नियामतें दी हैं। गेहूं के जवारे उनमें से ही प्रकृति की एक अनमोल देन है। अनेक आहार शास्त्रियों ने इसे संजीवनी बूटी भी कहा है, क्योंकि ऐसा कोई रोग नहीं, जिसमें इसका सेवन लाभ नहीं देता हो। यदि किसी रोग से रोगी निराश है तो वह इसका सेवन कर श्रेष्ठ स्वास्थ्य पा सकता है। 

                                       गेहूं के जवारों में अनेक अनमोल पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसे आहार नहीं वरन्‌ अमृत का दर्जा भी दिया जा सकता है। जवारों में सबसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। प्रसिद्ध आहार शास्त्री डॉ. बशर के अनुसार क्लोरोफिल (गेहूं के जवारों में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व) को केंद्रित सूर्य शक्ति कहा है। 
            गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग हो तो वर्तमान में चल रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका प्रयोग कर आशातीत लाभ प्राप्त किया जा सकता है।  

                               
हिमोग्लोबिन रक्त में पाया जाने वाला एक प्रमुख घटक है। हिमोग्लोबिन में हेमिन नामक तत्व पाया जाता है। रासायनिक रूप से हिमोग्लोबिन व हेमिन में काफी समानता है। हिमोग्लोबिन व हेमिन में कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन व नाइट्रोजन के अणुओं की संख्या व उनकी आपस में संरचना भी करीब-करीब एक जैसी होती है। हिमोग्लोबिन व हेमिन की संरचना में केवल एक ही अंतर होता है कि क्लोरोफिल के परमाणु केंद्र में मैग्नेशियम, जबकि हेमिन के परमाणु केंद्र में लोहा स्थित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि हिमोग्लोबिन व क्लोरोफिल में काफी समानता है और इसीलिए गेहूं के जवारों को हरा रक्त कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है।