चाकलेट हम सभी को अच्छी लगती है। तरह-तरह के स्वाद और रंग हमें चाकलेट की ओर खींच ले जाते हैं और हम बड़े शौक से चाकलेट खा लेते हैं। चाकलेट खाने में तो स्वादिष्ट लगती है, लेकिन जानकारों का कहना है कि चाकलेट नुकसानदायक भी होती है। यह तो सभी जानते हैं कि चाकलेट खाने से दांत खराब हो जाते हैं। लेकिन इसके अलावा चाकलेट हृदय और फेंफड़ों को भी नुकसान पहुंचाती है। चाकलेट की लोकप्रियता के कारण ही अनेक नामी कंपनियां चाकलेट का निर्माण कर रही हैं और विज्ञापनों से हमें अपने मायाजाल में फंसाती जा रही है। चाकलेट का निर्माण कोको नामक फल के चूर्ण से होता है। इस फल को सुखाकर उसकी गिरी को निकालकर उसका चूर्ण बना लिया जाता है। गिरी के चूर्ण को कोको का दुध वेजिटेबल आयल तथा गाय और भैंस का दूध मिलाकर जमा दिया जाता है। बर्फ की तरह जमाकर चाकलेट के टुकड़े काटकर पैक कर लिये जाते हैं। देखने में इनमें कोई हानिकारक तत्व नहीं पता लगता लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कोको के दूध और गिरी में हानिकारक रसायन होते हैं। ये रसायन स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होते हैं। कोको का दूध और गिरी में फइनायल, जायमीन और थायब्रोमीन नाम के कार्बानिक यौगिक होते हैं जिनका असर उत्तेजनाकारक होता है। जब फिनायल इथायल शरीर में पहुंचता है तो पहले वह भीतरी सतह पर विद्यामान न्यूरान्स एवं दूसरे तंत्रिका कोषों पर उपस्थित रेसपिरेटरी का जो उद्दीपन करता है उसी से डीएनए और जीन सक्रिय होते हैं। इससे दिल की धड़कने बढ़ती हैं। चाकलेट के सेवन से तीनों रसायन हमारे शरीर में चले जाते है। इनका असर चयापचय की क्रिया पूरी होने तक रहता है। चाकलेट में प्रयुक्त होने वाले वेजिटेबल आयल में निकिल धातु होता है जो हृदय रोग के लिए खतरनाक है। यह निकिल शरीर में पहुंचकर फेफड़ों पर जम जाता है। जो सेहत के लिए खतरा पैदा करता है। इसके सेवन से मोटपा, मधुमेह, दिल की बीमारी और कैंसर भी होता है। कहा जाता है कि चाकलेट अधिक सेवन से उतना ही खतरा है जितना गुटखा खाने से होता है। इसलिए बच्चाेंं को चाकलेट खाने से रोकना चाहिये क्योंकि यह एक मीठा जहर है। इसको धीमा जहर भी कहा जा सकता है।
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