शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

कैल्सियम महिलाओं में कैल्शियम की कमी के लक्षण और उपचार

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जब बात महिलाओं की होती है, तब वह आराम से हर बीमारी को नजरअंदाज कर देती हैं। यही कारण है कि आज दुनियाभर में महिलाओं को ही सबसे ज्‍यादा भयंकर बीमारी का समाना करना पड़ रहा है। अधिकतर महिलाएं अपने स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान नहीं देती। कई बार इसी वजह से कोई बड़ी बीमारी बाद में या लाइलाज स्‍टेज पर पता चल जाती है। ऐसी कुछ बीमारियां हैं, जो अगर जल्‍द पहचान में न आइ तो उनसे जान को खतरा पैदा हो जाता है। इसलिये अच्‍छा होगा कि कोई भी बीमारी का अंदेशा होने पर जल्‍द से जल्‍द उसकी समस्‍या का समाधान कर लें। महिलाओं को समझना होगा कि अगर उन्‍हें अपने परिवार को सुखी देखना है तो पहले खुद के स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्‍यान दें। यदि घर की मां खुश और स्‍वस्‍थ्‍य रहेगी तभी उसका परिवार भी स्‍वस्‍थ्‍य रह कर बीमारियों से लड़ने में सक्षम रहेगा। अगर आपके घर में आपकी मां कई दिनों से बीमार हैं या फिर आपकी पत्‍नी किसी रोग को लेकर बार बार आप से बात कर रही है या चिंता में है तो यह आपका फर्ज है कि आप अपना सारा काम-धाम छोड़ कर उसे डॉक्‍टर के पास ले कर जाएं। तो हम महिलाओं से केवल इतना ही कहना चाहेगें कि यदि आपकी उम्र 40 पार हो चुकी है तो अपने कुछ जरुरी टेस्‍ट करवाने बिल्‍कुल भी ना भूलें।

हड्डियों का चेकअप ऑस्टियोपोरोसिस का नाम तो आपने सुना ही होगा, अगर नहीं तो यह हड्डी की एक अवस्‍था होती है जिसमें हड्डियाँ उम्र के साथ मुलायम हो कर चिटकने लगती हैं। इसका ट्रीटमेंट थोड़ा मुश्‍किल हो जाता है क्‍योंकि जब तक किसी औरत को इस बीमारी के बारे में पता चला है, तब तक बहुत देर हो जाती है। इसकी समस्‍या कैल्‍शियम की कमी से होती है।
इससे कोई फरक नहीं पडता कि आप की उम्र क्‍या है क्‍योंकि अवस्‍था कोई भी हो अपनी हड्डी को मजबूत रखना बहुत जरुरी है। कई लोगों का यह मानना है कि हड्डी तो वैसे भी शरीर का सबसे मजबूत अंग होता है तो भला इसकी देखभाल करने से क्‍या फायदा। ऑस्टियोपोरोसिस का नाम तो आपने सुना ही होगा, अगर नहीं तो हम बता दें कि यह हड्डी की एक अवस्‍था होती है जिसमें हड्डियाँ उम्र के साथ मुलायम हो कर चिटकने लगती हैं। यह बीमारी जयादातर महिलाओं और लडकियों में देखने को मिलती है। यह ज्‍यादातर 50 की उम्र की महिलाओं को होती है। चलिए देखते हैं कि इस बीमारी को दूर करने के लिए और अपनी हड्डी को मजबूत बनाने के लिए क्‍या आहार ले सकते हैं। यह आहार हैं विषेश- 1.दूध: आपकी मां आपको हर वक्‍त दूध पीने को हमेशा कहती हैं क्‍योंकि इसके पीछे एक कारण है। दूध कैल्शियम और विटामिन डी का सबसे बडा स्रोत होता है। रिसर्च के मुताबिक कुछ डेयरी प्रोडक्‍ट जैसे कि चीज़ और आइस्‍क्रीम भी कैल्शियम के अच्‍छे स्रोत माने जाते हैं पर उनमें विटामिन डी नहीं पाया जाता। 2.व्‍यायाम: व्‍यायाम न करना बहुत ही गलत आदत है। अगर आपको अपनी हड्डी को मजबूत बनाना है तो अभी से ही टहलना, जौगिंग करना, वेट लिफ्टिंग, पुश अप और सीढियां चढना शुरु कर दें। आप को हफ्ते में छह दिन 30 मिनट तक के लिए तो व्‍यायाम करना ही चाहिएये। 3.मेवा-बीज: अगर आपको किसी भी प्रकार का मेवा पसंद है तो उसे जरुर खाएं। कद्दू के बीज में मैगनीश्यिम होता है। बादाम और पिस्‍ता जैसे मेवे भी आप खा सकती हैं। इसमें ढेर सारे पोषक तत्‍व आपकी हड्डी को मजबूती देगें। अखरोट में ओमेगा 3 फैटी एसिड की मात्रा बहुत अधिक पायी जाती है। साथ ही इसमें अल्‍फालिनोलिक एसिड होता है जो हड्डी को मजबूती प्रदान करता है। 4.गाजर: इस सब्‍जी में अल्‍फा कैरोटीन, बीटा कैरोटीन और बीटाक्रप्‍टोएक्‍सथिन पाया जाता है। गाजर को आप सलाद के रुप में कच्‍चा खा सकते हैं। 5.विटामिन डी: यह पोषक तत्‍व कैलश्यिम को सोखने और बनाये रखने में काम आता है। सूरज की धूप शरीर में विटामिन डी भरती है और इसे पाने के लिए आपको संतरे का जूस, दूध, मछली आदि खाना चाहिये।
महिलाओं में कैल्शियम की कमी के लक्षण और उपचार
 
 कैल्सियम एक ऐसा पोषक तत्व है, जिसकी शरीर को काफी जरूरत होती है। दूसरे पोषक तत्व की तरह ही हमारे डाइट में कैल्सियम की बड़ी भूमिका होती है। मजबूत हड्डी और दांत के निर्माण में कैल्सियम आवश्यक होता है। इतना ही नहीं, कैल्सियम हमारे स्वास्थ को भी बेहतर बनाता है। बेहतर स्वास्थ के लिए नि:संदेश कैल्सियम एक जरूरी पोषक तत्व है। पोषक तत्व का सेवन और इसका स्तर महिला और पुरुष में अलग-अलग हो सकता है। कई बार महिलाओं को अपने स्वास्थ को बनाए रखने के लिए कुछ अतिरिक्त पोषक तत्व की जरूरत होती है। महिलाएं अपने करियर और फैमिली का ध्यान रखते-रखते कई बार अपने आहार और फिटनेस को लेकर लापरवाह हो जाती है। वह भूल जाती है कि उनकी अपनी भी जिंदगी है और उन्हें अपना भी ख्याल रखना चाहिए। रोज कीजिये एक्‍सरसाइज नहीं तो हो जाएंगी हड्डियां कमजोर बुनियादी बातें इससे पहले कि आप महिलाओं में कैल्सियम की कमी के लक्षण और उसके उपचार के बारे में जानें, आपके लिए कैल्सियम के बारे में जानना अच्छा होगा। -यह ऐसा पौष्टिक तत्व है जो आपकी हड्डियों और दांतों को संरचना प्रदान करता है। - तंदुरुस्त दिल के लिए यह जरूरी होता है। - आपके मसल की कार्यप्रणाली इस पोषक तत्व पर निर्भर करती है और इसी से आपकी हड्डी भी मजबूत होती है। - अपने औषधीय गुण के कारण यह सबसे ज्यादा बिकने वाला सप्लीमेंट्स है। लक्षण अब आप जान गए हैं कि कैल्सियम कितना महत्वपूर्ण है। आइए अब कुछ और बातें जानते हैं। यहां हम आपको महिलाओं में कैल्सियम की कमी के लक्षण के बारे में बता रहे हैं। - महिलाओं के शरीर में 1000 से 1200 मिली ग्राम कैल्सियम होनी चाहिए। इससे कम मात्रा को कैल्सियम की कमी माना जाता है और आपको फिजिशियन से इस बारे में जरूर बात करनी चाहिए जो आपको बेहतर आहार की सलाह देंगे। महिलाओं में कैल्सिय की कमी के लक्षण साफ दिखाई नहीं देते हैं। पर अगर आप नियमित रूप से फ्रेक्चर से जूझ रही हैं और आपकी हड्डी काफी कमजोर हो गई है तो आपको ध्यान देने की जरूरत है। यह भी जरूरी है कि आप उम्रदराज महिलाओं में भी कैल्सियम की कमी को गंभीरता से लें। - अगर महिलाओं में कैल्सियम की कमी के लक्षण को नजरअंदाज कर दिया जाए तो इससे आस्टिओपरोसिस का खतरा भी पैदा हो जाता है। कैल्सियम की कमी का जल्दी पता लगाने के लिए आपको ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए। - महिलाओं में कैल्सियम की कमी का लक्षण संवदेनशून्यता और मसल में अकड़ आना भी है। अगर इस स्थिति का उपचार न कराया जाए तो इस बात का खतरा रहता है कि नर्व ठीक तरह से सिग्नल भेजना बंद कर दे। - महिलाओं में कैल्सियम की कमी को बेहतर तरह से जानने के लिए आपको हृदय के आवर्तन पर ध्यान देना चाहिए। कैल्सियम की कमी होने पर हृदय आवर्तन प्रभावित होता है। - कई बार महिलाओं में कैल्सियम की कमी से कंफ्यूशन, साइकोसिस और थकान भी होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि दिमाग को भी कैल्सियम चाहिए होता है। हालांकि उम्रदराज महिलाओं में कैल्सियम की कमी का ध्यान बेहतर तरीके से रखना पड़ता है। उपचार - कैल्सियम सप्लीमेंट लेना कैल्सियम की कमी का एक उपचार है। उम्रदराज महिलाओं को कैल्सियम सप्लीमेंट की जरूरत ज्यादा होती है। आप अपना इलाज खुद न करें, क्योंकि ज्यादा सप्लीमेंट लेने से कैल्सियम का ओवरडोज भी हो सकता है।



क्‍या हेल्‍दी है : फल या फलों का जूस?

क्‍या आप अपने दिन की शुरूआत फलों के जूस को पीकर करते हैं? अगर आप ऐसा करते है तो तो यह आपके स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचा सकता है और इससे आपका वजन भी घट सकता है। बहुत कम लोग जानते है कि फलों का जूस भी उतना ही नुकसानदायक होता है जितना सॉफ्ट ड्रिंक पीना। लोगों का मानना होता है कि जो फल में होता है वही तत्‍व फलों के जूस में होते है। लेकिन ऐसा नहीं है, दोनों में बहुत अंतर होता है, दोनों में फाइबा के मामले में बहुत फर्क होता है। फल, फलों के जूस के मुकाबले कहीं ज्‍यादा बेहतर होते है। आइए जानते है कि शरीर के लिए फल ज्‍यादा हेल्‍दी होता है या फलों का जूस : जूस जल्‍दी से पच जाता है : कैम्‍ब्रीज की मेडीकल रिर्सच काउंसिल ह्यूमन न्‍यूट्रीसियन रिसर्च यूनिट के हिसाब से फलों का जूस जल्‍दी से शरीर में पच जाता है और जल्‍दी ही उससे मिलेन वाली ऊर्जा भी खत्‍म हो जाती है, इसलिए अगर आप पूर्णत: स्‍वस्‍थ है तो फलों का सेवन करें। फ्रूट जूस पीने से आपके वजन घटाने का प्‍लान बर्बाद हो सकता है : आप वजन घटाने के बारे सोच रही है, लेकिन आप 4 संतरो का जूस निकालकर पी लेते है, उसके बाद भी पेट की भूख शांत नहीं होती है आप कुछ और खा लेते है। इसके आपका डायट प्‍लान गड़बड़ा जाता है। एक्‍सपर्ट मानते है कि अगर आप डाईट पर है तो जसू से बेहतर होगा कि फल खाएं। जूस में सुगर ज्‍यादा होती है : अगर आप फलों के जूस को ज्‍यादा स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक मानते है तो जान लें कि जूस में ज्‍यादा मात्रा में सुगर होती है और इसमें फाइबर की कमी होती है, जिससे शरीर में ब्‍लड़ सुगर की मात्रा बढ़ने के आसार रहते है। इसके ज्‍यादा सेवन से आपको कई तरीके की दिक्‍कतें भी हो सकती है। कई बार ड्रॉप, थकान और चिड़चिड़ेपन का कारण यह सुगर बन जाता है। क्‍या फलों के जूस को पूरी तरह से पीना बंद कर देना चाहिए? : ऐसा नहीं है कि आप जूस पीना बंद कर दें या उसे पिएं ही नहीं। जूस पीना भी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छा होता है। लेकिन यदि आप पूरी तरीके से स्‍वस्‍थ है, आप खा सकते है, आसानी से पी सकते है तो फल ही खाएं, ताकि आपके शरीर में फाइबर पहुंचे और फलों की पूरी ताकत आपकी बॉडी को मिले। फल खाने से पाचन क्रिया सही रहती है और मेटाबोल्जिम भी दुरूस्‍त रहता है। फलों का ताजा जूस भी फायदेमंद रहता है लेकिन फलों का डिब्‍बाबंद जूस हानिकारक होता है। इससे शरीर को फायदा बहुत कम होता है, इसलिए फलों का फ्रेश जूस ही निकालकर पिएं। वैसे, फलों के जूस के सेवन से शरीर में तत्‍काल कैलोरी मिलती है और पोषक तत्‍व भी पहुंच जाते है। लेकिन फल ज्‍यादा लाभकारी होते है। फलों को काटकर खाने से बेहतर है उन्‍हे पूरा का पूरा दांतों से काटकर खाया जाएं। इस तरह से जबड़ और दांत भी दुरूस्‍त रहेगें। इसलिए अब समझें, कि फलों के जूस से ज्‍यादा बेहतर फल होते है। नाश्‍ते में उन्‍हे खाएं और स्‍वस्‍थ रहें।

सोमवार, 13 जनवरी 2014

स्वस्थ रहने की 10 अच्छी आदतें

* कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है। उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं। 

* घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करती रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें।

* ताजी सब्जियों-फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें। 

* बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।

* खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में 'वैरायटी ऑफ फूड' शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं। 

* खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शकर से बने ज्यूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो। 

* अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें। 

* मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें।

* कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें। अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े। 

* 45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।

सोमवार, 6 जनवरी 2014

my sweet sweet baby

welcome in my LIFE AND MOST WELCOME IN MY FAMILY

शनिवार, 4 जनवरी 2014

Risk Factors of Back Pain neurotherapy iso


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Pain in the lower back or low back pain is a common concern, affecting up to 90% of population. Low back pain is not a specific disease, rather it is a symptom that may occur from a variety of different processes.

Risk Factors of Back Pain

A risk factor is something which increases the likelihood of developing a condition or disease. For example, obesity significantly raises the risk of developing diabities type 2. Therefore, obesity is a risk factor for diabetes type 2. The following factors are linked to a higher risk of developing low back pain:
A mentally stressful job
Pregnancy – pregnant women are much more likely to get back pain
A sedentary lifestyle
Age – older adults are more susceptible than young adults or children
Anxiety
Depression
Gender – back pain is more common among females than males
Obesity/overweight
Smoking
Strenuous physical exercise (especially if not done properly)
Strenuous physical work.
What are the signs and symptoms of back pain?
A symptom is something the patient feels and reports, while a sign is something other people, such as the doctor detect. For example, pain may be a symptom while a rash may be a sign.
Signs or symptoms:
Weight loss
Elevated body temperature (fever)
Inflammation (swelling) on the back
Persistent back pain – lying down or resting does not help
Pain down the legs
Pain reaches below the knees
A recent injury, blow or trauma to your back
Urinary incontinence – you pee unintentionally (even small amounts)
Difficulty urinating – passing urine is hard
Fecal incontinence – you lose your bowel control (you poo unintentionally)
Numbness around the genitals
Numbness around the anus
Numbness around the buttocks

ISO 9001:2008 CERTIFIICATION NEUROTHERAPY


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  • ISO 9001:2008 certification has been in place for
    over a decade now and is used by both customers and companies as a method of controlling their quality.

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  • The principles of ISO 9001:2008 are:
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Dr. Ramesh kumar is well trained neurotherapist from LMNT Neurotherapy academy Mumbai. He has extensive experience in Neurotherapy. He is well trained to manage All kind of chronic diseases without medicines and has various Neurotherapy techniques to treat the critical illness in natural way and has proven miraculous results on hundreds of patients. Neurotherapy is an ancient Indian rehabilitative therapy based on the vedic principles & philosophy. This natural healing therapy deals with nerves, muscles, joints and blood & lymphatic channels.

Neurotherapy is a complete system of healing, incorporating mechanical, psychological, bio-force, and biochemical aspects. It discovers the root cause of the disease and treats the same in an integrated manner. The disorder of the bodily organs causes an imbalance in the biochemical forces leading to the development of diseases. The therapist activates or deactivates the organ(s), through pressure or massage on the nerve channels to stimulate or depress the blood, & other body fluids and the nerve currents so as to restoring the balance and harmony of the body thus helping the body regain its equilibrium. If you or someone you love is affected by chronic illness, or if you are seeking a program to maintain health, you have come to the right place.www.neurotherapist.co.in

शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

जोड़ों के लिए नंगे पाँव दौड़ना

ोड़ों के लिए नंगे पाँव दौड़ना ट्रेनर जूते पहनकर दौड़ने से कहीं ज्यादा फायदेमंद है। इसका खुलासा एक हालिया शोध में किया गया है। अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक दौड़ते समय ट्रेनर जूते में लगे पैड घुटनों, एड़ी तथा कूल्हों पर बल लगाते हैं, जिससे भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है । 

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बाजार में उपलब्ध इस तरह के जूते पहनकर दौड़ने से जो़ड़ों पर जो बल लगता है, वह एड़ी वाले सैंडल से भी कहीं ज्यादा है। यानी एड़ी वाले सैंडल पहनकर भागने से भी कहीं ज्यादा खतरनाक है ट्रेनर जूते पहनकर दौड़ लगाना। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे जूते पहनने से कहीं बेहतर है कि बिना जूते पहने ही दौड़ लगाएँ। उन्होंने कहा है कि जूते ऐसे नहीं होने चाहिए जिससे पैरों की सुरक्षा प्रभावित हो।

HINDI HEALTH TIPS सर्दी सेहत बनाने का मौसम है

सर्दी सेहत बनाने का मौसम है। खूब सारे फल आते हैं, पाचन-शक्ति अच्छी होती है और खूब भूख भी लगती है। कहा जाता है कि जो लोग जिम जाकर बॉडी बनाना चाहते हैं, उनके लिए भी यह मौसम बड़े काम का है। इस मौसम में स्वस्थ रहने और सर्दी से बचने के लिए बाहरी उपायों के अतिरिक्त हमारे यहां खान-पान पर भी जोर दिया जाता है। इस मौसम में पत्थर भी पचाए जा सकते हैं।इस मौसम में सर्दी-जुकाम होने की आशंका ज्यादा रहती है, ऐसे में अपने शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए एक्सपर्ट अपने खाने में नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट्स को शामिल करने का सुझाव देते हैं। ठंड के मौसम में अपने खाने में आंवले को शामिल करें। सीधे नहीं खा सकते हैं तो या तो मुरब्बे के तौर पर या फिर किसी और तरह से हर दिन के खान-पान में इस्तेमाल करें। यदि आप डाइट चार्ट का पालन कर रहे हैं तो फिर आंवला मुरब्बा लेने की बजाय किसी और रूप में लें।
इसके साथ ही अजवाइन भी शरीर को गर्मी देने का अच्छा स्रोत है। इससे भी आप कोल्ड एंड फ्लू से बचाव कर सकते हैं। गुड़ और शहद भी सर्दियों के दिनों में अच्छा माना जाता है। तिल्ली और गुड़ के लड्डू सर्दी से बचाव के लिए बेहतरीन उपाय माना जाता है। ठंड के मौसम में सूखे मेवे, बादाम आदि का सेवन भी लाभदायक होता है। या तो इन्हें भिगोकर खाएं या दूध में मिलाकर या फिर सूखे मेवों का दरदरा पावडर-सा बना लें और इसे दूध में मिलाकर प्रोटीन शेक-सा बना लें।

health tips सर्दियों का मौसम खान-पान

सर्दियों का मौसम खान-पान के लिहाज से यूं भी बेहद अच्छा माना जाता है। इस मौसम में फल-सब्जियों और ड्रायफ्रूट्स तक की बहार रहती है। इसलिए ठंड के दिनों में पारंपरिक तौर पर भी बादाम या खसखस के हलवे तथा बाजरा की घी डली खिचड़ी से लेकर अमरूद, पालक, मैथी, गाजर, टमाटर आदि जैसी अनेक पौष्टिक चीजों का मजा आसानी से लिया जाता है। कुल मिलाकर यह सेहत बनाने के दिन होते हैं

सर्दियों में फल और सब्जियों के रूप में ही आप खासे विटामिन और खनिज शरीर को दे सकते हैं। आइए नजर डालते हैं, ऐसे ही पोषक तत्वों से भरपूर अमरूद पर।
खाने में खट्टे और मीठे दोनों तरह के स्वाद से बने इस फल की खासियत यह है कि यह हर आदमी की पहुंच में आने वाला, सहज उपलब्ध फल है लेकिन गुणों के मामले में यह कई महंगे फलों पर भारी पड़ता है। अमरूद, बिही या जामफल जैसे कई नामों से पुकारे जाने वाले इस फल में विटामिन 'सी' कई अन्य सिट्रस फ्रूट्स के मुकाबले 4 से 10 गुना तक ज्यादा होता है। यह विटामिन शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है। इसमें थोड़ी मात्रा में विटामिन 'ए' या कैरोटिन भी होता है। इसमें कई खनिज लवण भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। 
जितना ज्यादा पका हुआ अमरूद होगा, उतनी ही इन सारे पौष्टिक तत्वों की मात्रा भी उसमें बढ़ी हुई होगी। डॉक्टर्स भी बेहद पके अमरूद को खाने की सलाह अक्सर हीमोग्लोबीन की कमी होने पर देते हैं। इसलिए महिलाओं के लिए यह और भी लाभदायक हो जाता है। इसमें फास्फोरस तथा कैल्शियम जैसे तत्व भी खासी मात्रा में होते हैं, जो हड्डियों के लिए फायदेमंद होते हैं।
1. अमरूद आहार फाइबर, विटामिन सी, विटामिन ए और विटामिन ई की एक अमीर souce यह भी फोलिक एसिड, पोटेशियम, मैंगनीज और तांबे शामिल है.
2. अमरूद एक रेचक फल के है. आहार फाइबर का एक समृद्ध souce होने के नाते, यह कब्ज के इलाज में मदद करता है.3. अमरूद विटामिन और खनिज कि त्वचा को स्वस्थ, ताजा और शिकन मुक्त रखने में मदद के साथ पैक किया जाता है.
4. अमरूद शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट विटामिन प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के सी होता है. यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और कैंसर की रोकथाम और विरोधी उम्र बढ़ने में मदद करता है.
5. अमरूद में मैग्नीशियम और शरीर में तंत्रिकाओं और मांसपेशियों को आराम में मदद करता है.
6. अमरूद में पोटेशियम सामान्य रक्तचाप unbalancing में सोडियम की भूमिका के पीछे से रक्तचाप को विनियमित करने में मदद करता है.
7. अमरूद विटामिन सी जो सर्दी और खांसी की तरह वायरल संक्रमण को रोकने में मदद करता है में समृद्ध है. यह भी प्रभावी ढंग से स्कर्वी के उपचार में मदद करता है.
8. अमरूद बहुत अच्छा कसैले गुण है. यह दस्त या पेचिश जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं के उपचार में मदद करता है.
9. विटामिन ए और अमरूद में फाइबर सामग्री के बृहदान्त्र श्लेष्म झिल्ली की रक्षा में मदद करता है.
10. अमरूद एक कोलेस्ट्रॉल मुफ्त फल है. यह संतुष्ट है और एक लंबे समय के लिए भूख से पेट मुक्त रहता है. यह वजन कम करने में मदद करता है और मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है.
अमरूद भी साथ एक महान रस फल है. यह गहरे हरे रंग की सब्जियों / पत्तियों के किनारे से दूर ले और एक स्वाभाविक रूप से मीठा ऊर्जा पेय के लिए कर सकते हैं.

सर्दियों का राजा : अमरूद 9888276707

सर्दियों का मौसम खान-पान के लिहाज से यूं भी बेहद अच्छा माना जाता है। इस मौसम में फल-सब्जियों और ड्रायफ्रूट्स तक की बहार रहती है। इसलिए ठंड के दिनों में पारंपरिक तौर पर भी बादाम या खसखस के हलवे तथा बाजरा की घी डली खिचड़ी से लेकर अमरूद, पालक, मैथी, गाजर, टमाटर आदि जैसी अनेक पौष्टिक चीजों का मजा आसानी से लिया जाता है। कुल मिलाकर यह सेहत बनाने के दिन होते हैं

सर्दियों में फल और सब्जियों के रूप में ही आप खासे विटामिन और खनिज शरीर को दे सकते हैं। आइए नजर डालते हैं, ऐसे ही पोषक तत्वों से भरपूर अमरूद पर।

खाने में खट्टे और मीठे दोनों तरह के स्वाद से बने इस फल की खासियत यह है कि यह हर आदमी की पहुंच में आने वाला, सहज उपलब्ध फल है लेकिन गुणों के मामले में यह कई महंगे फलों पर भारी पड़ता है। अमरूद, बिही या जामफल जैसे कई नामों से पुकारे जाने वाले इस फल में विटामिन 'सी' कई अन्य सिट्रस फ्रूट्स के मुकाबले 4 से 10 गुना तक ज्यादा होता है। यह विटामिन शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है। इसमें थोड़ी मात्रा में विटामिन 'ए' या कैरोटिन भी होता है। इसमें कई खनिज लवण भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। 
जितना ज्यादा पका हुआ अमरूद होगा, उतनी ही इन सारे पौष्टिक तत्वों की मात्रा भी उसमें बढ़ी हुई होगी। डॉक्टर्स भी बेहद पके अमरूद को खाने की सलाह अक्सर हीमोग्लोबीन की कमी होने पर देते हैं। इसलिए महिलाओं के लिए यह और भी लाभदायक हो जाता है। इसमें फास्फोरस तथा कैल्शियम जैसे तत्व भी खासी मात्रा में होते हैं, जो हड्डियों के लिए फायदेमंद होते हैं

सेहत,लाइफ स्‍टाइल,

* पानी पिएं : 

पानी आपके शरीर का प्रमुख तत्व है, आपके वजन का करीब 60 प्रतिशत अंश पानी ही होता
है। शरीर की एक-एक प्रणाली को पानी की आवश्यकता होती है (औसतन एक वयस्क को हर रोज न्यूनतम 1.5 लीटर पानी चाहिए)।
नमक की मात्रा कम करें : 

तेज नमक वाले व्यंजनों जैसे अचार, पापड़, चटनी, नमकीन-दही, केन्ड सूप और सब्जियों से बचें, क्योंकि इनमें नमक की मात्रा सामान्य से अधिक होती है (प्रतिदिन 5 ग्राम से कम नमक आदर्श होता है)।

* ताजा सब्जियां और फल अधिक से अधिक खाएं। 

* वजन कम रखें : 
अतिरिक्त वजन की वजह से भी आपकी सेहत के मामले में जोखिम बढ़ता है और आपको हृदय रोगों तथा मधुमेह जैसे रोगों के होने की आशंका अधिक हो जाती है। यदि आपका वजन सामान्य से अधिक है या आप मोटापे के शिकार हैं तो अपने खान-पान में धीरे-धीरे, मगर सेहतमंद बदलाव लाने की शुरुआत कर दें। 

अपनी शारीरिक सक्रियता बढ़ाएं (हर रोज एक समय पर वजन लें, खासतौर से सवेरे उठने के बाद और दिन में पहली बार पेशाब करने के बाद)। यदि एक दिन में वजन 1 /1-1 किग्रा या एक सप्ताह में 1-2 किग्रा से ज्यादा बढ़े तो तुरंत इस बारे में सलाह करें।

शारीरिक रूप से चुस्त बनें : 

व्यायाम करने से शरीर की ताकत बढ़ती है और हृदय समेत अन्य अंगों की मांसपेशियां भी मजबूत बनती हैं। धीरे-धीरे व्यायाम की आदत बनाएं ताकि शरीर में खुद-ब-खुद क्षमता भी विकसित हो जाए। शारीरिक व्यायाम के लिए आप अलग-अलग एरोबिक्स गतिविधियों को अपना सकते हैं। तैराकी, साइकल चलाना आदि। 

* धूम्रपान छोड़ें : 

धूम्रपान की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ता है। व्यायाम करने की क्षमता घटती है और रक्त का थक्का जमने की जोखिम भी अधिक रहती है। 

इन उपायों पर अमल कर आप उत्तम स्वास्थ्य की राह पर चल सकते हैं।

health in hindi tips neurotherapy (च्युंइगम चबाने से होता है सिरदर्द)

   

ऊब से बचने के लिए और खुद को अधिक ऊर्जावान दिखाने के लिए हम अक्सर च्युंइगम का सहारा लेते हैं दरअसल इजरायल में तेल अवीव विश्वविद्यालय के मेर मेडिकल सेटर ने एक नए शोध में इसका खुलासा किया है कि बच्चों और किशारों को च्युंइगम चबाने की आदत होती है जिससे उनमें सिरदर्द का खतरा बढ़ जाता है। मेर मेडिकल सेंटर के डॉ. नैथन वॉटेमबर्ग की अगुवाई में वैज्ञानिकों के एक दल ने प्रयोग करके इस तथ्य को साबित किया कि च्युइंगम की आदत छोड़ने से सिरदर्द की संभावना काफी घट जाती है। 

शोध के दौरान डॉ. वॉटेमबर्ग ने लगातार सिरदर्द और माइग्रेन से पीड़‍ित एवं च्युंइगम चबाने की आदत से मजबूर 6 से 19 साल के 30 लोगों को एक महीने तक च्युंइगम न खाने की सलाह दी। इनमे से कई लोग दिन भर में एक घंटे और कई 6 घंटे से अधिक च्युंइगम चबाने के आदी थे। लेकिन इस चक्कर में अनजाने ही सिरदर्द मोल ले लेते हैं। 
महीने बाद पाया गया कि 30 में से 19 लोगों में सिरदर्द की शिकायत गायब हो गई और सात लोगों ने सिरदर्द में कमी की बात कही। इसके बाद 30 में से 20 लोगों को दोबारा च्युंइगम चबाने के लिए कहा गया और उन्होंने दोबारा इस आदत को शुरू करने पर पाया कि वे सभी कुछ दिन बाद ही सिरदर्द से ग्रसित हो गए। इससे पहले भी च्युंइगम चबाने के कारण सिरदर्द के होने का पता था लेकिन इसकी वजह च्युंइगम को मीठा करने के लिए डाले गए स्वीटनर एस्पारटेम को माना जाता था। डॉ. वॉटेमबर्ग के अनुसार च्युंइगम चबाने के कुछ देर तक ही मीठा लगता है जिससे यह पता चलता है कि उसमे इतनी अधिक मात्रा मे एस्पारटेम नहीं है कि उसकी वजह से सिरदर्द की शिकायत हो जाए। उनके अनुसार लोग मिठास जाने के बाद भी च्युंइगम चबाते रहते हैं। 

उन्होंने कहा कि अगर एस्पारटेम की वजह से सिरदर्द होता तो जो लोग डाइट ड्रिंक या उन उत्पादों का सेवन करते हैं उन्हें दर्द होता (जिनमें इसे डाला जाता है) लेकिन ऐसा नहीं होता है। उनका यह शोध इस तथ्य को साबित करता है कि च्युंइगम चबाने से दोनों जबड़ों की जोड़ पर ज्यादा जोर पड़ता है। 

ज्यादा देर तक चबाने से जबड़ों की जोड़ टेम्पोरोमैडीब्यूलर (टीएमजे) पर अत्यधिक दबाव पडता है और इस जबड़े का सिरा दिमाग की नसों से जुड़ा होता है। 

क्या है आदर्श वजन health in hindi tips

क्या है आदर्श वजन 
आदर्श वजन होने का अर्थ यह नहीं है कि आपका शरीर भी आदर्श स्थिति में है। लगभग सभी के शरीर के फीचर्स बदलते रहते हैं। इसीलिए आदर्श वजन एक चिकित्सकीय परिभाषा है जिसका अर्थ यह है कि आपकी उम्र, लिंग और लंबाई के आधार पर आपका वजन इतना होना चाहिए। 

चिकित्सक एक अलग आधार पर ही यह तय करता है कि आप मोटे हैं या नहीं। बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), कमर के घेरे और नितंब तथा कमर के घेरे का अनुपात आदि फॉर्मूलों के आधार पर आप मोटे या ओवरवेट हैं या नहीं, तय किया जाता है। किसी भी वयस्क के लिए बीएमआई अगर 18.5 से 25 के बीच हो तो ठीक समझी जाती है। 

यदि 30 से अधिक हो तो आप ओवरवेट हैं। यदि इससे भी अधिक हो तो आप ओबेस यानी बहुत मोटे की श्रेणी में आते हैं। वजन कम करने के लिए बीएमआई हमेशा विश्वसनीय नहीं होता। 

इसकी वजह यह है कि जो लोग बॉडी बिल्डिंग करते हैं, उनकी मांसपेशियों का वजन शरीर में उपस्थित वसा से अधिक होता है इसलिए कसरती शरीर वालों का बीएमआई हमेशा अधिक होगा। इसी तरह बुजुर्गों के लिए बीएमआई यदि 25 से 27 के बीच हो तो उनके लिए ठीक रहता है। 

यदि आपकी उम्र 65 से अधिक है तो अधिक बीएमआई अस्थिक्षरण से सुरक्षा प्रदान करता है। बच्चों में मोटापा एक बड़ी समस्या के रूप में तेजी से उभर रहा है इसलिए मोटे बच्चों के लिए बीएमआई कैल्क्यूलेटर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बच्चे का आदर्श वजन किसी योग्य चिकित्सक से तय कराएं। 

आदर्श वजन महिलाओं और पुरुषों में अलग-अलग होता है। यहां तक कि एशियाई और कॉकेशियन नस्ल की महिलाओं के आदर्श वजन में भी फर्क हो सकता है। यदि कोई महिला पूरे 5 फुट की है तो उसका आदर्श वजन 45.500 किलो होना चाहिए। यदि लंबाई 5 फुट से कम हो तो हरेक इंच पर 2 किलो 700 ग्राम वजन गणना में कम कर देना चाहिए।

अब यह तय कीजिए कि आपके शरीर का ढांचा छोटा, मध्यम या बड़े आकार का है। इसे जानने का एक बहुत ही आसान तरीका है। अपनी कलाई का नाप लीजिए। यदि यह पूरे 6 इंच हो तो आपके शरीर का ढांचा मध्यम आकार का है। इसी तरह यदि कलाई का नाप 6 इंच से कम आता है तो अपने आदर्श वजन में से 10 प्रतिशत घटा दें। यदि ज्यादा आता है तो जाहिर है कि आपके शरीर का ढांचा बड़ा है, इसलिए आदर्श वजन में 10 प्रतिशत बढ़ा दें। 

पुरुषों के लिए यदि कोई पुरुष पूरे 5 फुट का है तो उसका आदर्श वजन 48 किलो 200 ग्राम होना चाहिए। यदि कलाई का नाप ठीक 7 इंच हो तो आपके शरीर का ढांचा मध्यम आकार का है। यदि कलाई का नाप 7 इंच से कम है तो आपके शरीर का ढांचा छोटा है। इसलिए आदर्श वजन में 10 प्रतिशत कम कर लें। 

यदि कलाई का नाप 7 इंच से अधिक आता है तो आपके शरीर का ढांचा बड़े आकार का है तो आदर्श वजन में 10 प्रतिशत का इजाफा कर लें। जो पुरुष बॉडी बिल्डिंग करते हैं उनके मामले में आदर्श वजन फर्क हो सकता है। 

हमेशा याद रखें कि वजन कम करने की जरूरत सभी को नहीं होती। वजन कम करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें। केवल परिजनों या दोस्तों की सलाह पर ही भरोसा न करें

कैसा है आपका बॉडी मास इंडेक्स

                                                                                                                                                                                           
  फॉर्मूले वजन तय करने आमतौर पर लोगों को अपना आदर्श वजन कितना हो इसकी                           जानकारी नहीं होती। बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) या ऐसे हीके लिए कितने कारगर                                          हैं? क्या कमर और नितंब के अनुपात से आदर्श वजन का पता चल है?

          
                                       चिकित्सा विज्ञान यह तय कर चुका है कि शरीर की अतिरिक्त चर्बी                                        स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होती, लेकिन यह भी उतना ही बड़ा                                          सच है कि अपनी खुराक में वसा को बिलकुल शून्य कर देने के                                          परिणाम भी बहुत बुरे होते हैं। वसा न हो तो शरीर में नर्व सेल्स                                          और हारमोंस ही बनना बंद हो जाएंगे। साथ ही वसा में घुलने वाले                                        कुछ विटामिन भी ऐसे ही बाहर निकल जाएंगे। 

इसलिए यह प्रश्न बहुत जटिल हो जाता है कि आखिर कितनी कैलोरी रोज खाएं ताकि आदर्श वजन बरकरार रहे? इसका उत्तर सभी के लिए एक सरीखा नहीं हो सकता। इसलिए जानना जरूरी होगा कि आदर्श वजन कितना है। ऐसे कई चार्ट्स और फॉर्मूले हैं जिनसे शरीर की लंबाई और वजन के अनुपात से आदर्श वजन मालूम किया जा सकता है। 

कुछ चिकित्सा पद्धतियों में शरीर की वसा के स्तर को सटीक तरह से नापा जा सकता है। अब चूंकि आपका सही वजन मसल्स मॉस जितना हो इस पर निर्भर करता है इसलिए आदर्श वजन यह हो सकता है।