शनिवार, 30 अप्रैल 2022

नाभि ही शरीर का केंद्र है

 अनुभव से प्राप्त मान्यताएँ


नाभि ही शरीर का केंद्र है




। बीमारी चाहे कोई भी हो, उसके साथ-साथ नाभि के आस-पास कुछ खास जगहों पर दबाएँ या बिना दबाए ही दर्द महसूस होगा। उन दर्दों को ठीक कर दें तो बीमशी अपने आप ठीक होती जाएगी।


शरीर पर खास जगहों पर निश्चित समय के लिए निर्धारित क्रम में दबाव डालकर हम नाभि के इन दर्दों को निकाल सकते हैं। इस प्रकार से या अन्य खास तरीकों से दबाने या घिसने से हम शरीर की ग्रंथियों को क्रम से उकसाकर विभिन्न रसायन बना सकते हैं। इन तरीकों से जो ग्रंथियां पहले काम नहीं कर रही थीं, वे ठीक से काम करने लगेंगी और बीमारी ठीक हो जाएगी।


फेफड़े, गुर्दे एवं पाचन संस्थान ठीक रहे तो कोई बीमारी आ ही नहीं सकती। बड़ी से बड़ी बीमारियाँ आने का मुख्य कारण है भोजन का ठीक से न पचना या उसका ठीक से अवशोषित न होना। खाना ठीक से न पचने से खाए हुए पदार्थ हमें मल में अनपचे ही दिखाई देंगे। कैल्सियम एवं अन्य मिनरल्स तथा विटामिन्स का अवशोषण नहीं होगा तो कैल्सियम की कमी से मांसपेशियाँ तथा ग्रंथियाँ ठीक से काम नहीं करेंगी। जैसे पहले लिखा है- शरीर में बीमारी आने के तीन मुख्य कारण हैं ग्रंथियों का ठीक प्रकार से काम


न करना या उन ग्रंथियों के रसायनों का कम ज्यादा होना या उनका उचित जगह पर या उचित


मात्रा में न पहुँचाना। मूल कारण को ठीक करने से बीमारी अपने आप ठीक होगी।


कई बीमारियों में 'Pan' के प्वाइंट में दर्द पाया है। हम 'Pan' के प्वाइंट को विभिन्न तरीकों से


उकसाकर कई बीमारियों को ठीक कर सकते हैं। अनुभव से यह पता चला है कि बाई कमर के नीचे Mu° प्वाइंट में दर्द का होना रक्त में पानी की कमी यानी एसिड बढ़ने के लक्षणों से जुड़ा है। जबकि बाई कमर के नीचे Liv° प्वाइंट में


दर्द का होना रक्त में पानी ज्यादा यानी एल्कली बढ़ने के लक्षणों से जुड़ा है। एसिड व एल्कली का बैलेंस बिगड़ने से तरह तरह के रोगों की समस्या उत्पन्न हो जाती है। एसिड बढ़ने से शरीर के बाएँ हिस्से में दर्द हो सकता है। एल्कली बढ़ने से मांसपेशियाँ कड़क हो जाएँगी तथा भयंकर बीमारियाँ आती हैं।


वे मान्यताएँ, जो शरीर विज्ञान के तथ्यों पर आधारित हैं शरीर में कई मुख्य रसायनों का निर्माण दो या से अधिक जगहों (अंगों) में होता है। एक जगह


के बिगड़ जाने से उन रसायनों का निर्माण नहीं होगा तब हम दूसरी जगह को न्यूरोथरैपी द्वारा उकसाते हैं, जिससे वह रसायन निकलती है और बीमारी ठीक होती है। विभिन्न अंत: स्रावी ग्रंथियों की गड़बड़ियों को हम पिट्यूटरी को उकसाकर ठीक कर सकते हैं,


क्योंकि पिट्यूटरी ग्रंथि का प्रभाव कई अंत: स्रावी ग्रंथियों पर पड़ता है।


सभी हार्मोस के कच्चे पदार्थ तीन ही तत्वों से बने हैं कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) टाइरोसिन,

अमीनो एसिड (Tyrosine amino acid) एवं प्रोटीन। इन तीन चीज़ों के ठीक से बनने एवं अवशोषित होने के लिए पाचन संस्थान यानी पाचन तंत्र का ठीक होना ज़रूरी है, जिसे हम न्यूरोथरैपी द्वारा ठीक करते हैं।


मस्तिष्क के प्रमुख रसायनों में से किसी एक की भी कमी होने से सेंट्रल नर्वस सिस्टम बिगड़


जाता है। तब हम न्यूरोथरैपी द्वारा आँत के नर्वस सिस्टम को उकसाकर मस्तिष्क की उस बीमारी


को ठीक करते हैं। उदाहरण-पॉर्किसन, मोटर न्यूरान डिसऑडर इत्यादि। विटामिन शरीर में नहीं बनते। उन्हें खाने से ही प्राप्त करना है। कुछ खास विटामिन की कमी के साथ पीठ के निचले भाग में कुछ दर्द भी महसूस होता है। जैसे ही हम न्यूरोथरैपी उपचार द्वारा पाचन संस्थान को ठीक और उन दर्द के प्वाइंट से दर्द निकालने लगते हैं, विटामिनों की कमी से आए लक्षण कम होने लगते हैं। इस प्रकार हम विटामिन की कमी की बीमारियों को बिना दवा के ठीक करते हैं।


जब बाल्य ग्रंथियाँ (Thymus glands) की कोशिकाएँ अपने शरीर की कोशिकाओं को ही मारने लगती हैं तो उसे 'ऑटो इम्यूनिटी' कहते हैं। इससे आई बीमारियों को 'ऑटो इम्यून डिसऑर्डर' कहते हैं। ऐसी बीमारियों में मरीजों को स्टेरॉइड्स की दवाइयाँ दी जाती हैं, जिनके काफी दुष्परिणाम होते हैं। न्यूरोथैरेपी का कंट्रोल एडरीनल ग्रंथि पर हैं, जो कि बाल्य ग्रंथियों (Thymus) को दबाता है तो न्यूरोथरैपी में ऐसी बीमारियों को ठीक करने के लिए हम एडरीनॅल कॉर्टक्स को उकसाकर शरीर में ही स्टेरॉइड्स बनाते हैं, जिसके दुष्परिणाम नहीं होते।


योग से हमें पता है कि दाईं और बाई नाक से श्वास लेने में फर्क है। वैसे ही न्यूरोथरैपी की अनुपम खोज है कि दोनों अंडाशय, दोनों गुर्दों एवं एडरीनल ग्रंथि के दोनों मेडुला (यानी अंदरूनी भाग) ये अलग-अलग काम करते हैं। इसके कुछ उदाहरण हैं



मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

शरीर के लिए विटामिन ई बहुत जरूरी है. Vitamin E For Health


 - गर्मियों में शरीर में पानी की कमी हो जाती है। हाथ, पैर, त्वचा और होंठ सूख जाते हैं। तेज धूप का असर बालों पर पड़ता है, जिससे बाल रूखे और बेजान भी हो जाते हैं। गर्मियों में ज्यादातर लोग त्वचा संबंधी समस्याओं से परेशान रहते हैं। ऐसे में आपको अपने खान-पान पर काफी ध्यान देना चाहिए। त्वचा और बालों की समस्याओं से बचने के लिए आपको विटामिन ई से भरपूर चीजों को डाइट में शामिल करना चाहिए। इससे बालों और त्वचा में नमी बनी रहेगी। आप विटामिन ई से भरपूर खाद्य पदार्थ खाकर भी ड्राईनेस की समस्या को कम कर सकते हैं। विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए आपको इन चीजों को अपने आहार का हिस्सा बनाना चाहिए ।


1- बादाम- बादाम विटामिन ई का अच्छा स्रोत हैं। गर्मियों में आपको रोजाना एक मुट्ठी भीगे हुए बादाम खाने चाहिए। इससे शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन ई मिलता है। बादाम खाने से त्वचा और बाल मुलायम हो जाते हैं।


2- सूरजमुखी के बीज- शरीर में विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए आपको अपने आहार में बीजों को जरूर शामिल करना चाहिए। बीज खाने से बालों का झड़ना, सफेद होना और खुरदरापन की समस्या कम हो जाती है। विटामिन ई के लिए आप सूरजमुखी के बीज खा सकते हैं। आप सूरजमुखी के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

3- एवोकाडो- फलों के बीच आपको एवोकाडो जरूर खाना चाहिए। यह फल भले ही महंगा हो, लेकिन इससे आपकी त्वचा और बाल चमकने लगेंगे। विटामिन ई की कमी को पूरा करने के लिए आपको एवोकाडो को अपने आहार का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए। एवोकाडो में विटामिन-सी भी पाया जाता है।


4- मूंगफली - विटामिन ई के लिए आप मूंगफली को अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। खाने में मूंगफली का इस्तेमाल किसी भी तरह से करें। गर्मियों में आप मूंगफली को भिगोकर चटनी बनाकर खा सकते हैं. इसके अलावा मूंगफली को स्नैक्स के रूप में हर मौसम में खाया जा सकता है.


5- हरी पत्तेदार सब्जियां- हरी सब्जियों में भी विटामिन ई पाया जाता है। खासकर पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ई अच्छी मात्रा में होता है। इसके लिए पालक को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। पालक खाने से आयरन और विटामिन ई की कमी पूरी की जा सकती है। 

6- इन सब चीजों को  पचाने के लिए आपको न्यूरो थेरेपी करवाने की जरूरत पड़ेगी। न्यूरो थेरेपी से आपकी पाचन शक्ति को मजबूत किया जाएगा।

रविवार, 17 अप्रैल 2022

पेट की सूजन और जलन से पाएं राहत

 पेट की सूजन और जलन से पाएं राहत


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1- दही के सेवन से पेट की समस्या को दूर किया जा सकता है. बता दें कि दही के अंदर प्रोबायोटिक्स पाए जाते हैं. ऐसे में इसके सेवन से गैस्ट्राइटिस की समस्या दूर हो सकती है. आप दही की जगह छाछ, मट्ठा, पनीर आदि का भी सेवन कर सकते हैं.

2- ग्रीन टी और शहद के सेवन से पेट की समस्याओं को दूर किया जा सकता है. ऐसे में आप ग्रीन टी में चम्मच शहद मिलाएं और इसका सेवन करें. ये एक बेहतरीन घरेलू उपाय है.

3- पेट की समस्याओं को दूर करने में हल्का भोजन आपके काम आ सकता है. आप नियमित रूप से हल्के भोजन का सेवन करें. भारी भोजन या अत्यधिक तले भुने भोजन को करने से बचें.

4- हरी सब्जियों के अंदर कई जरूरी विटामिन पाए जाते हैं. ऐसे में इसके सेवन से ना केवल शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिल सकते हैं बल्कि यह पेट की समस्या को दूर करके पाचन क्रिया को बेहतर बना सकता है.

5- स्ट्रेस को दूर करके भी पेट की कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है. ऐसे में आप नियमित रूप से व्यायाम और योग करें. ऐसा करने से तनाव दूर हो सकता है और पेट की समस्या से भी राहत मिल सकती है.

6- पेट की समस्या को दूर करने के लिए सबसे बेस्ट न्यूरोथेरेपी है. यह थेरेपी बिना दवाई से काम करती है सबसे बड़ी बात इस थेरेपी का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है


शनिवार, 16 अप्रैल 2022

बेल का शरबत पीने के फायदे

 गर्मी के मौसम में सभी को रोजाना हेल्दी ड्रिंक्स (Healthy Drinks) का सेवन करना चाहिए। ताकि शरीर में ठंडक और एनर्जी लेवल बना रहे। ऐसे में बेल का शरबत (Bel Ka Sharabat) काफी फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि बेल का शरबत एक हेल्दी ड्रिंक्स होता है। जिसको पीने से शरीर में एनर्जी बनी रहती है, साथ ही कई बीमारियां भी दूर होती है। क्योंकि बेल औषधीय गुणों से भरपूर होता है। बेल में आयरन, कैल्शियम, गुड फैट, फाइबर, विटामिन-सी, फॉस्फोरस, बीटा-कैरोटीन, थायमीन, राइबोफ्लेविन और प्रोटीन जैसी कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। आइए जानते हैं बेल का शरबत पीने के क्या-क्या फायदे होते हैं।


बेल का शरबत पीने के फायदे

1-बेल के शरबत में विटामिन सी की अच्छी मात्रा पाई जाती है, इसलिए इसका सेवन करने से रोग प्रतिरोधक (Immunity) क्षमता मजबूत होती है, जिससे आप कई बीमारियों के शिकार होने से बच सकते हैं।

2- गर्मी के मौसम में बेल का शरबत पीने से शरीर को ठंडक मिलती है। साथ ही शरीर हाइड्रेट (Hydrate) भी रहता है। क्योंकि बेल की तासीर ठंडी होती है।

3- बेल के शरबत का सेवन पेट के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि इसको पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। साथ ही कब्ज की शिकायत भी दूर होती है।

4- बेल के शरबत का सेवन महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि बेल का शरबत पीने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

5- बेल के शरबत का सेवन करने से खून साफ होता है, जिससे त्वचा संबंधी कई परेशानियां दूर होती है। इसके लिए बेल के शरबत में थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।

6- बेल का शरबत कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) को कम करने में मददगार साबित होता है। इसलिए अगर किसी का कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ा हो, तो उसे गर्मी के मौसम बेल के शरबत का सेवन करना चाहिए।



7- गर्मी के मौसम में लू और धूप लग जाने की वजह से अक्सर लोग बीमार पड़ जाते हैं, लेकिन अगर आप बेल के शरबत का सेवन करते हैं, तो बीमार पड़ने से बच सकते हैं।

8- जो लोग बढ़ते मोटापा से परेशान हैं, उनको बेल के शरबत का सेवन करना चाहिए। क्योंकि बेल के शरबत में फाइबर मौजूद होता है, जो वजन को कंट्रोल करने में मददगार साबित होता है।

9- बेल का शरबत डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि बेल में लैक्सेटिव्स होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने में मदद कर सकता है।

रविवार, 3 अप्रैल 2022

पीठ में दर्द दर्द गैस बनने के कारण भी हो सकता है

 मांसपेशियों में तनाव, मांसपेशियों में ऐंठन, चोट, खराब शारीरिक मुद्रा में बैठना, मोटापा और अधिक वजन पीठ में दर्द के मुख्य कारण होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं पीठ में गैस बनने पर भी दर्द महसूस हो सकता है। जी हां, जिस तरह पेट, सीने में गैस बनती है उसी तरह पीठ में भी गैस बन सकती है। पीठ में दर्द दर्द गैस बनने के कारण  भी हो सकता है। इस दौरान व्यक्ति को उल्टी, जी मिचलने जैसी समस्याएं भी हो सकती है। लेकिन सही लाइफस्टाइल की मदद से पीठ के गैस  को आसानी से निकाला जा सकता है।


जिस तरह पेट या सीने में गैस बनने पर दर्द महसूस होता है, ठीक उसी तरह पीठ में गैस बनने पर भी दर्द महसूस होता है। पीठ में गैस बनने पर भी कई लक्षण नजर आते हैं। 

जानें पीठ में गैस के लक्षण 

पीठ में गैस के कारण 

जब हम खाना खाते हैं और यह अच्छी तरह से पचता नहीं है, तो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में गैस बन सकती है। यह गैस शरीर के किसी भी हिस्से में बन सकती है। पेट की सूजन और आंतों की गैस ऊपरी शरीर में हल्के से लेकर गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। गैस तेज दर्द पैदा कर सकती है। गैस होने पर पूरा पेट भरा हुआ महसूस होता है, पेट में भारीपन का अहसास हो सकता है। यह गैस पीठ तक फैल सकता है, जिससे पीठ दर्द और सूजन हो सकती है। पेट के वायरस जैसी छोटी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं भी तीव्र गैस दर्द का कारण बन सकती हैं। ब्लोटिंग, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में गैस भरने से होती है, पीठ दर्द से जुड़े मामलों का कारण बनता है।

पठ में दर्द होना

पीठ दर्द के साथ जी मिचलानापीठ में गैस बनने पर आप कुछ बचाव टिप्स को भी फॉलो कर सकते हैं। इससे आपके शरीर में पाचन में सुधार होगा। आप पेट में दर्द, पीठ में दर्द, पेट में भारीपन आदि से बचेंगे। पीठ में गैस बनने पर ये उपाय आजमाएं-


गैस को रोककर न रखें। गैस निकलने दें

मल त्याग भी सही से करें। मल त्याग होने पर गैस से राहत मिलती है

खाना धीरे-धीरे और चबा-चबाकर खाएं

धूम्रपान से परहेज करें

मैदा, जंक फूड आदि खाने से परहेज करें

गैर-कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पिएं। अपनी डाइट में फाइबर सही मात्रा में शामिल करें।



उल्टी

पेट और पीठ की मांसपेशियों में दर्द होना

पीठ में खिंचाव महसूस होना

पेट का दर्द पीठ तक पहुंचना