शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

health in hindi tips neurotherapy (च्युंइगम चबाने से होता है सिरदर्द)

   

ऊब से बचने के लिए और खुद को अधिक ऊर्जावान दिखाने के लिए हम अक्सर च्युंइगम का सहारा लेते हैं दरअसल इजरायल में तेल अवीव विश्वविद्यालय के मेर मेडिकल सेटर ने एक नए शोध में इसका खुलासा किया है कि बच्चों और किशारों को च्युंइगम चबाने की आदत होती है जिससे उनमें सिरदर्द का खतरा बढ़ जाता है। मेर मेडिकल सेंटर के डॉ. नैथन वॉटेमबर्ग की अगुवाई में वैज्ञानिकों के एक दल ने प्रयोग करके इस तथ्य को साबित किया कि च्युइंगम की आदत छोड़ने से सिरदर्द की संभावना काफी घट जाती है। 

शोध के दौरान डॉ. वॉटेमबर्ग ने लगातार सिरदर्द और माइग्रेन से पीड़‍ित एवं च्युंइगम चबाने की आदत से मजबूर 6 से 19 साल के 30 लोगों को एक महीने तक च्युंइगम न खाने की सलाह दी। इनमे से कई लोग दिन भर में एक घंटे और कई 6 घंटे से अधिक च्युंइगम चबाने के आदी थे। लेकिन इस चक्कर में अनजाने ही सिरदर्द मोल ले लेते हैं। 
महीने बाद पाया गया कि 30 में से 19 लोगों में सिरदर्द की शिकायत गायब हो गई और सात लोगों ने सिरदर्द में कमी की बात कही। इसके बाद 30 में से 20 लोगों को दोबारा च्युंइगम चबाने के लिए कहा गया और उन्होंने दोबारा इस आदत को शुरू करने पर पाया कि वे सभी कुछ दिन बाद ही सिरदर्द से ग्रसित हो गए। इससे पहले भी च्युंइगम चबाने के कारण सिरदर्द के होने का पता था लेकिन इसकी वजह च्युंइगम को मीठा करने के लिए डाले गए स्वीटनर एस्पारटेम को माना जाता था। डॉ. वॉटेमबर्ग के अनुसार च्युंइगम चबाने के कुछ देर तक ही मीठा लगता है जिससे यह पता चलता है कि उसमे इतनी अधिक मात्रा मे एस्पारटेम नहीं है कि उसकी वजह से सिरदर्द की शिकायत हो जाए। उनके अनुसार लोग मिठास जाने के बाद भी च्युंइगम चबाते रहते हैं। 

उन्होंने कहा कि अगर एस्पारटेम की वजह से सिरदर्द होता तो जो लोग डाइट ड्रिंक या उन उत्पादों का सेवन करते हैं उन्हें दर्द होता (जिनमें इसे डाला जाता है) लेकिन ऐसा नहीं होता है। उनका यह शोध इस तथ्य को साबित करता है कि च्युंइगम चबाने से दोनों जबड़ों की जोड़ पर ज्यादा जोर पड़ता है। 

ज्यादा देर तक चबाने से जबड़ों की जोड़ टेम्पोरोमैडीब्यूलर (टीएमजे) पर अत्यधिक दबाव पडता है और इस जबड़े का सिरा दिमाग की नसों से जुड़ा होता है। 

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