मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

NEWS NEUROTHERAPY CENTRE HEALTH CARE NEWS


                न्युरोथेरैपी की क्षमता         

न्युरोथेरैपी परम पूज्य डा. लाजपतराय मेहरा जी के द्वारा खोजा हुआ एक अद्भूत व अनुपम आल्टरनेटिव थेरैपी है,जो बाहर से बिना दवाई (drugless) दिये ही शरीर के विभिन्न रोगों को ठिक करते है,जिनका कोई भी दुष्प्रभाव (side effect) शरीर में नहीं होता,यह दर्दरहित (painless) होता है, यह अन्य सभी थेरैपी से सस्ता व सहज सरल है,इस थेरैपी का परिणाम स्थाई होता है,
क्योकि इनके द्वारा बिमारी से सम्बन्धित अंगो को सीधे ही उकसाने के साथ-साथ विभिन्न पहलुओं में भी उत्तम व कारगार है

प्राकृतिक कार्यो का पुन: संचालन –
 न्युरोथेरैपी द्वारा के शरीर के विभिन्न कोशिकाओं , उतको, अंगो या तंत्रो के बिगडने से आये  विभिन्न बिआरियो को ठिक किया जाता है, इस प्रक्रिया मे शरीर के विभिन्न भागों मे दबाव डालकर शरीर के विभिन भागों में रक्त परिसंचरण को बढाते है, जिससे रक्त के द्वारा उन भागो को सही मात्रा में ओक्सीजन, पोषक तत्व , खनिज पदार्थ, हार्मोंस विटामिन्स आदि प्राप्त होने सेशरीर के प्राकृतिक कार्यो का पुन: संचालन होता है, और बिमारियां अपने आप ठिक होती है ।

शिक्षा के दृष्टिकोण से –
गुरुजी एक उर्जापुंज है,जिनके चेहरे मे वो आभा है जो हमेशा दमकते रहते है, एक अथक साधक है जो दृढ संकल्प से बंधे हुये है और उन्ही दृढ संकल्प के कारण ही आज हमारे पास न्युरोथेरैपी के रुप में अद्भूत व अनुपम शिक्षा प्रणाली है, इस पद्धति द्वारा मेडिकल साईंस के बडी से बडी प्रसिद्ध पुस्तको को बहुत ही सरल विधी से बहुत ही कम दिनो में अभ्यास कराया जाता है, जिससे कम पढे लिखे लोग भीबहुत ही आसानी से कठिन से कठिन विषयों को समझ पाते है, गुरुजी मेडिकल पुस्तको के आलावा सभी प्रकार के विषयों जैसे- आध्यात्मिक,भौगोलिक,गणितिय,प्राकृतिक, व विभिन्न समसामयिक विषयों का शिक्षा प्रदान करते है अर्थात न्युरोथेरैपी एक गागर में सागर के समान है ।

व्याधि परिक्षण के दृष्टिकोण से –
जिस प्रकार समन्दर में  न जाने कितने ही दुर्लभ तत्व छिपे है, उसी प्रकार न्युरोथेरैपी में भी दुर्लभ से दुर्लभ बिमारियों को पहचान कर ठिक करने की क्षमता है,बिमारियां कोई भी हो ये सभी बिमारियां हमारे शरीर के कुछ ही अंगो के बिगडने से ही आते है, विभिन्न प्रकार के व्याधि के लिये शरीर में बहुत से अलग – अलग डायाग्नोस्टिक पाईंट होते है बिमारियां छोटे हो या बडे न्युरोथेरैपी में उन बिमारियों से संबंधित अंगो या डायाग्नोस्टिक पाईंट को शरीर के उपर निश्चित  दबाव देकर अंगो के गडबडी को पहचाना जाता है,जिससे व्याधि परिक्षण में सहजता प्रदान होती है ,और उन अंगो को ही सीधे उकसाकर उनसे आये बिमारियो को दुर किया जाता है । न्युरोथेरैपी की यही क्षमता है कि शरीर मे कितने भी विषमता आ जाये,किन्तु न्युरोथेरैपी द्वारा उन विषमताओं को एक सूत्र में फ़िरोकर समता प्रदान करता है ।

आशा की किरण –
न्युरोथेरैपी एक विश्वास है उन लोगो क लिये जिन्होन आशा ही छोड दिये थे कि मै कभी भी ठीक हो पाऊंगा,जिनका जीवन मझधार में हिचकोल लेते नैया जैसा था, किन्तु न्युरोथेरैपी उपचार से उन सभी के जीवन मे एक आशा की किरण जगी और उन्ही आशाओं से आज वे मुस्कानो के पुष्प के रुप मे प्रफ़ुल्लित हो रहे है और आज भी वे बहुत खुश है, अर्थात न्युरोथेरैपी ने दुखों के धुप से तडपते जीवन को चैन अमन का नवछाया दिया ।

सम्मान और पहचान की दृष्टिकोण से – 
न्युरोथेरैपी आरोग्य प्रदाता के साथ – साथ उन सबको सम्मान व पहचान भी प्रदान करते है, जो न्युरोथेरैपी क साथ सम्पर्कित है, हमें बहुत ही गर्व है कि आज हम न्युरोथेरैपी के वजह से अपने कदम पर खडे हुये है, भटके हुये आबादी में एक पहचान बनाया, अरमानो से सजा सम्मान दिलाया ,जिनका कल्पना कभी हमने किये भी नही थे,आज देश के चारों दिशाओं में अपनत्व से परिपूर्ण जान पहचान है, ये सब न्युरोथेरैपी के कारंण ही संभव हो पाया है, अर्थात न्युरोथेरैपी दाता है, भाग्य विधाता है, जिनके बिना हमारा विस्तार संभव नही था ।

राष्ट्र धरोहर –
न्युरोथेरैपी अनमोल धरोहर है,जो हमारे  व देश के लिये गौरव की बात है, जिनका अविष्कार  हमारे देश के माटी पुत्र, सच्चे देशभक्त, जिनके कण – कण में हमेशा भारत भूमि की गौरवगान झलकता है, त्याग समर्पण के धनी,जिनका स्नेह सर्वोपरि है, ऐसे महान विप्र परम पूज्य गुरूजी डा. लाजपतराय मेहरा जी ने किया है, जिन्होने लोगो के जीवन शक्ति को बढाया, आर्थिक सम्पन्नता का कारण बना और ऐसा साधन जिनमें बिना धन के ही आत्म सम्मान, यश,निरोग प्राप्त करने का निशस्त्र उपकरण है, इस स्थिति में हमारे विधि अनुसार इन्हे सार्वजनिक रुप से राष्ट्र धरोहर घोषित करना चाहिये ।

दृष्टांत –

आने वाले दिनों में न्युरोथेरैपी उन सीमाओं को नाप लेंगे जो अभी आंखों से दिखाई नही दे रहे है एक गति बनकर पुरे विश्व से रोगों को रोगमुक्त  करेंगे, क्योंकि हमें मालूम है,कि आजकल भौतिक सुख-सुविधाओं के कारण मनुष्य लचर होते जा रहे है, खाने – पीने व रहन सहन में बदलाव आने से वे अनावश्यक वस्तुओं जैसे – रासायनिक दवाईयां, रासायनिक अनाज, जंक /फास्ट फूड  ,प्रीजर्वेटीव मटेरियल आदि को आत्मसात कर रहे है, जिनके वजह से रोग हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे है, और हमारे शरीर के प्राकृतिक रसायन को बाधित कर रहे है, उन अवस्था में न्युरोथेरैपी द्वारा शरीर के विभिन्न अंगो को बिना दवाईयों के सीधे ही उकसाकर शरीर को निरोग बनाने की प्राकृतिक क्षमता है ।

परिधी –
न्युरोथेरैपी एक बिन्दु से निकलकर आज उस परिधी में पहुंच चुका है, जिसे शायद ही हम छू सके, आज यह परिधी हमारे लिये अपूर्ण ही होगा , इन परिधियों में आज देश के हर राज्यों जैसे – अरुणाचल प्रदेश से लेकर गुजरात तक तथा जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लगभग हजारों न्युरोथेरैपी सेन्टर स्थित है, इनके आलावा न्युरोथेरैपी विश्व के कई देशों जैसे – आस्ट्रेलिया,लंदन, इटली, कनाडा मारिशस, आदि में हैं , जहां पर न्युरोथेरैपी का यश-रुपी सुगन्ध सदैव बह रहा है, जहां लाखों लोग रोजाना उपचार ले रहे है , और रोग बिन्दु मुक्त हो रहे है ।

सतत विचारधारा –
न्युरोथेरैपी का विचारधारा हमारे भारतीय संस्कृति पर आधारित है,जो जनमानस को समर्पित है, यहां कैशल –कला गुरुकुल की तरह है, यहां आध्यात्म-भक्ति, सेवा-समर्पण, लेखन-पाठन, खेल-सहयोग की भावना से परिपूर्ण है, हमारे गुरुजी डा. लाजपतराय जी मेहरा जी ग्यान का असीम सागर है,जो सभी विषयों में पारंगत है, यह निरोग को हरने वाले भगवान धनवन्तरी स्वरुप छवि रखते है, गुरुजी का अरमान हर एक लोगों के हाथों मे न्युरोथेरैपी का संजान हो, गुरुजी अभी भी लगातार कई घण्टो तक पढने की क्षमता रखते है ।

दुर्लभ ऊपचार –
न्युरोथेरैपी आज बिना दवा के दुनिया के विभिन्न बडे से बडे बिमारियां जैसे – मोटर न्युरान, मल्टिपल स्क्लेरोसिस, मस्क्युलर डिस्ट्रोफ़ी, पर्किन्सन, सेरेब्रल एट्रोफ़ी, मेन्टल रिटार्डेशन बच्चे, सेरेब्रल पैल्सी, पैरालिसिस, कैन्सर, ऐड्स, तथा विभिन्न दुर्लभ बिमारियों को बढने से रोकते ही नहीं अपितु उन्हे रोककर पुरानी स्थिति याने सुधार वाली स्थिति में लाते है, जिससे मरीज अपना काम बिना सहायता के स्वयं ही कर पाते है, यह क्षमता शायद न्युरोथेरैपी के आलावा दुनिया में कहीं भी नहीं ।

एक दिशा –
न्युरोथेरैपी एक दिशा है, जो पथ में भटके अनगिनत बिमारियों से ग्रसित लोगों का जो जीवन के सफर में कुण्ठित हो चुके दर दर भटक कर, सही समाधान नही मिले है उनके लिये न्युरोथेरैपी एक कारगार पद्धति है,जो मरीजों के रग-नस में रक्तधार बनकर प्यास के समान शरीर के कण-कण में पहुंचकर रोग तडपन को दुर करके जीने की एक नई दिशा प्रदान करने की क्षमता रखते है

स्वप्न निशा –
न्युरोथेरैपी दर्द से कराहते जिन्दगियों में एक लय बनकर जीवन कोशिकाओं को शीथिल – अनुशीथिल करके हमेशा स्पंदित होकर जीवन अंतरंग को एक शांति प्रदान करती है, स्वप्न निशा बनकर सुख-चैन भरी जिन्दगी बनाती है, हर कसक को हरती है तथा हरेक का स्वप्न साकार करने की क्षमता रखती है ।

अंगोत्तेजन –
न्युरोथेरैपी के द्वारा शरीर के उन अंगो को सीधे उकसा सकते है,जो अपना कार्य सही रुप से नही कर पा रहे है, और उन अंगों के बिगडने से ही कई प्रकार के बिमारी या लक्षण उत्त्पन्न होते है जैसे – लिवर के बिगडने से कई कार्य बाधित होते है, इनके बिगडने से शरीर के विभिन्न अंगों को  सही मात्रा में कार्य करने के लिये  कच्चा पदार्थ प्राप्त नही होंगे, पाचन शक्ति कमजोर हो जायेगा,तापमान अनियमित हो जायेगा । उसी प्रकार पैन्क्रियास, स्टमक, इंटेस्टाईन, किडनी, जननांग,मष्तिस्क,तथा विभिन्न ग्लैण्ड आदि में कोई भी कार्य निश्चित न हो तो उनसे सम्बन्धित बिमारियां या लक्षण उत्त्पन्न होते है, उस स्थिति में शरीर के इन विभिन्न अंगो को एक-एक करके उकसाकर उनके कार्य को पुन: सही अवस्था में लाते है, तथा उनसे सम्बन्धित बिमारियां दूर होते है,जिनका कोई साईड इफैक्ट नही होता और न ही दूसरे अंग प्रभावित होता है, अर्थात न्युरोथेरैपी द्वारा इच्छानुसार शरीर के अंगो ऊकसाने की क्षमता रखते है |

सूत्र निर्माण की दृष्टिकोण से –
न्युरोथेरैपी साइंटिफिक विधी पर आधारित है, इनमें मरीजों को वही उपचार दिये जाते है जो उनके बिमारियों के लिये उपयुक्त हो, इनमें बाहर से कोई भी दवाईयां मरीज को नहीं दिये जाते , तथा बिना वजह के दुसरे अंगो को उकसाया भी नही जाता,इनमें उसी अंग को उकसाते है जो उस बिमारी के लिये उचित रसायन या पदार्थ बनाते हो तथा इस रसायन व पदार्थ से ही विभिन्न बिमारियां ठीक होते है, न्युरोथेरैपी में विभिन्न अंगो को ध्यान में रखकर सूत्र या फ़ार्मूला तैयार करते है,तथा विभिन्न फ़ार्मूलाओं से ही न्युरोथेरैपी उपचार या ट्रीटमेण्ट बनते है,जिनसे बिमारी को ठीक करने की क्षमता रखते है 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें