पैरालिसिस यानि कि लकवे की बीमारी आजकल काफी सुनने को मिलती है. किसी की पूरी बॉडी पैरालिसिस का शिकार हो जाती है तो किसी की आधी बॉडी इस बीमारी के चपेट में आ जाती है. कुछ लोगों के शरीर के किसी विशेष अंग को भी पैरालिसिस हो जाता है. लकवे के रोग का कारण तो साफ है, लेकिन इसके कई प्रकार भी होते हैं. इस रोग में रोग में रोगी के शरीर के नीचे का भाग अर्थात कमर से नीचे का भाग काम करना बंद कर देता है. इस रोग के कारण रोगी के पैर तथा पैरों की अंगुलियां अपना कार्य करना बंद कर देती हैं. आइए इस लेख के माध्यम से हम पैरालिसिस के विभिन्न उपचारों के बारे में जानें.
लकवे के रोग के प्रकार-
अर्द्धांग का लकवा: - इसमें शरीर का आधा भाग कार्य करना बंद कर देता है अर्थात शरीर का दायां या बायां भाग कार्य करना बंद कर देता है. डॉक्टर बताते हैं कि बीते कुछ समय में इस प्रकार के लकवे के मामले काफी बढ़ गए हैं.
एकांग का लकवा: - तीसरा है एकांग का लकवा, जिसमें शरीर का केवल एक हाथ या एक पैर अपना कार्य करना बंद कर देता है. जब तक यह अंग दिमाग के जिस भाग से जुड़े हैं वह ठीक नहीं हो जाता, तब तक यह अंग काम नहीं करता.
मुखमंडल का लकवा: - लकवे का चौथा प्रकार है पूर्णांग का लकवा, इसमें ज्यादातर मामले दोनों हाथ के लकवे या दोनों पैर के लकवा हो जाने के सुनाई देते हैं. इसके बाद पांचवें प्रकार का लकवा है मुखमंडल का लकवा हो जाना, जिसमें रोगी के मुंह का एक भाग टेढ़ा हो जाता है जिसके कारण मुंह का एक ओर का कोना नीचे दिखने लगता है और एक तरफ का गाल ढीला हो जाता है. इस रोग से पीड़ित रोगी के मुंह से अपने आप ही थूक गिरता रहता है.
मेरूमज्जा लकवा: - इसके बाद छठे प्रकार का लकवा है मेरूमज्जा-प्रदाहजन्य लकवा. यह काफी समस्या उत्पन्न करता है. इस प्रकार के पैरालिसिस में शरीर का मेरूमज्जा भाग कार्य करना बंद कर देता है. यह रोग अधिक सेक्स क्रिया करके वीर्य को नष्ट करने के कारण होता है.
जीभ का लकवा: - अगला है जीभ का लकवा, जो इस श्रेणी में सातवें नंबर पर है. इस प्रकार के लकवे के कारण रोगी की जीभ में लकवा मार जाता है और रोगी के मुंह से शब्दों का उच्चारण सही तरह से नहीं निकलता है. क्योंकि इस रोग के कारण रोगी की जीभ अकड़ जाती है और रोगी व्यक्ति को बोलने में परेशानी होने लगती है तथा रोगी बोलते समय तुतलाने लगता है.
खानापान का ध्यान रखें-
इन उपायों के बाद अगले कुछ उपाय रोगी के खानपान से जुड़े हैं. यदि आगे बताए जा रहे खाद्य पदार्थों को रोगी की रोजाना डायट में जोड़ा जाए, तो उपरोक्त सभी उपाय अपना असर शीघ्र दिखाएंगे.
फलों के जूस-
सबसे पहले रोगी को जितना हो सके फलों का रस पिलाएं. कम से कम 10 दिनों तक फलों का रस, नींबू का रस, नारियल पानी, सब्जियों के रस या आंवले के रस में शहद मिलाकर पीना चाहिए. इसका अलावा एक और खास प्रकार का रस है जिसमें अंगूर, नाशपाती तथा सेब के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर रोगी को पिलाना है.
पका हुआ ना खाएं-
इसके अलावा रोगी को क्या नहीं खाना चाहिए यह भी जानना जरूरी है. रोगी को बाहर का तला-भुना खाना नहीं खाना चाहिए. इसके अलावा जब तक उसका उपचार चल रहा है और इलाज में कोई उन्नति ना दिखी हो, तब तक उसे पका हुआ भोजन बिलकुल ना दें.
तनाव बिलकुल ना लें-
लकवे रोग के कारण मस्तिष्क का चाहे कोई भी भाग नष्ट हुआ हो, भले ही पूर्ण मस्तिष्क नष्ट ना हुआ हो, लेकिन रोग के बढ़ने की संभावना बनी रहती है. इसलिए उपचार के दौरान रोगी के दिमाग को किसी प्रकार की कोई चोट ना पहुंचे, इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए. रोगी को किसी प्रकार का कोई मानसिक तनाव ना होने पाए, यह भी ध्यान रखें. यदि वह मानसिक रूप से स्वस्थ होगा, तो जल्द ही उसके ठीक होने की संभावना बनेगी.
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