बुधवार, 26 अक्टूबर 2011



आप सब जानते हैं कि पटाखे  अच्छी चीज नहीं हैंइन से बेबात ही पैसे की बरबादी होती हैंकभी-कभी तो चोट भी लग जाती है,लोग जल भी जाते हैं और मर भी जाते हैं। मै जानता हूँ  कि फिर भी दीवाली पर आप पटाखे जरूर चलायेंगे ठीक हैं तो चलाइये पटाखे मगर कुछ बातों का ध्यान रखिये-
•  अच्छी किस्म के अच्छी कम्पनी के बने पटाखे  ही चलायें। सस्ते व स्थानीय पटाखों  से बचें ।
•  घर के अन्दर पटाखे  न छुड़ायें। ऐसे खुले मैदान में पटाखें चलायें जिसके पचास फीट दूर  तक इमारतेंगाड़ियांघास-फूस और पेट्रोल से भरे वाहन न खड़े हों।
•  पटाखे चलाने से पहले वहां दो -चार बाल्टियों  में पानी भरकर अवश्य रख लें ताकि जलने या आग लगने के समय या मिस किये हुये पटाखे  को निष्क्रिय  करने के लिये इसकां प्रयोग किया जा सके।
•  पटाखे चलाते समय शरीर से चिपके सूती वस्त्र ही पहनें।
•  बच्चों को अकेले पटाखे न चलाने दें-एक वयस्क व्यक्ति उनकी निगरानी लिये उनके साथ अवश्य रहें ।
•  पटाखों को किसी धातु के बक्से में बन्द करके पटाखे छुड़ाने के स्थल से दूर रखें ताकि  दुर्घटना  वश उनमें आग न लग जाये।
•  बच्चों को अपनी जेबों में पटाखे  न रखने दें।
•  पटाखों को दीयोंजलती मोमबत्ती या लालटेन के पास न रखें।
•  पटाखे को हाथ में पकड़ कर न छुड़ायें।
•  पटाखे जलाने के लिये एक जलती मोमबत्ती या सुलगती रस्सी का टुकड़ा (जैसा पान वालों की दूकान पर सिगरेट जलाने के लिये लटका रहता है) किसी दो तीन फुट लम्बी डण्डी या बांस में बांध कर ही प्रयोग करें।
• फुलझड़ी को निरापद समझ कर असावधान न रहें। जलते समय इसके जलने वाले सिरे का तापक्रम 2000 डिग्री तक हो सकता है। अत: फुलझड़ी जलाते समय हाथों में सूती दस्ताने पहनें।
• फुलझड़ी जलाकर छोटे बच्चों को न पकड़ायेंये खतरनाक हो सकता है। फुलझड़ी को सदैव अपने शरीर से दूर रखें।
•  राकेट को साथ दिये गये राकेट लॉचर में रखकर ही चलायें (अच्छी कम्पनी के बने राकेटों में ये साथ मिलता है)बोतल में रख कर न चलायें।
•  एक बार में एक ही पटाखा चलायें। कई पटाखों को एक साथ बांधकर न चलायें।
• मिस किये पटाखें को 15 मिनट तक न छुयें। इसके बाद इन्हें पानी भरी बाल्टी में डालें। इनको फाड़  कर अन्दर से बारूद या बत्ती का हिस्सा निकालने का प्रसास न करें। छोटे बच्चों को  आवाज वाले व फटने वाले पटाखे (बमराकेटअनार आदि) न छुड़ाने दें ।
•  पटाखेखास कर अनारजलाते समय उसके ऊपर झुकें नहीं।
•  कई पटाखों का बारूद निकाल कर खुद पटाखा बनाने का प्रयोग न करें।
•  शराब पीकर पटाखें न चलाये।
                                      अगर दुर्घटना  हो जाये तो
जले हुये भाग को ढेर सारे ठण्डे पानी  और साबुन से धोयें। यदि मामूली सा जल गया हो तो इस पर कोई जीवाणुरोधी क्रीम लगायें । सिल्बर सल्फाडाइजीन क्रीम जले भाग के लिये सबसे उपयुक्त मानी जाती है। दर्द के लिये पैरासिटामोल की गोली या सिरप दिया जा सकता है पर अगले दिन सबेरे डाक्टर को जरूर दिखायें।
 अगर चोट ज्यादा हो या शरीर का बडा हिस्सा जल गया हो या घाव हो गया हो तो ऐसे व्यक्ति को तुरन्त अस्पताल ले जाएँ । ऐसे व्यक्ति को ग्लूकोज चढ़ानेरक्त देने या छोटी-बड़ी शल्य क्रिया  की आवश्यकता भी पड़ सकती है। गम्भीर रूप से जले व्यक्ति को`विशिष्ट  बर्न यूनिट´ या `गहन चिकित्सा कक्ष´ में भरती भी करना पड़ सकता है। पटाखों से जले ऐसे व्यक्तियों की मृत्यु भी हो सकती हैं।
बाद में जले हुये स्थानों पर पुनर्निर्माण  शल्य क्रिया (रिकन्सट्रक्टिव सर्जरी) त्वचा के प्रत्यारोपण और अन्य प्रकार की प्लास्टिक सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है जिससे जले हुये भाग को दुरूस्त किया जा सकता है।
                                  पटाखों से अगर आंख में चोट लग जाये
कभी-कभी पटाखें विशेष  कर राकेट सीधे-सीधे आंख में जा लगते हैंजिससे आंख को गम्भीर हानि पहुंच सकती हैं। कभी-कभी आंख की रोशनी पूरी तरह से जा भी सकती हैं। ऐसे में एक तो पटाखे से लगी चोट से आंख को नुकसान होता ही है दूसरे उस समय गलत प्राथमिक चिकित्सा से आंख को गम्भीर क्षति पहुंच सकती है इसलिये आंख में चोट  लगने पर निम्न बातों का ध्यान रखें-
•  चोट लगने पर आंख को मलें नहीं। बेहतर हो ऐसे में आंख को हाथ न लगायें।
•  यदि आंख में पटाखे के टुकड़े दिखाई दे रहे हों तो उन्हें ढेर सारे साफ पानी से धो  डालें।
• भले ही आंख में हल्की चोट ही आई हो पर उसे तुरन्त किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ को जरूर दिखायें। आगे चलकर यही छोटी परेशानी भयंकर रूप धारण कर सकती है।
• आस पडोस के झोला -छाप डाक्टरों के पास हरगिज न जायें वरना अनर्थ हो सकता है ।
• आंख में कोई  दवा आदि को डालने या पानी के अलावा किसी अन्य तरल पदार्थ से आंख को धोने की कोशिश न करें।
•  आंख में कई मलहम न लगायें इससे डाक्टर  को उस समय आंख के परीक्षण में परेशानी हो सकती है जब आंख बचाने के लिये एक-एक मिनट कीमती होता है।
• आंख की रक्षा के लिये किसी चौड़े मुंह की शीशी का ढक्कन (या चाय के डिस्पोजेबल गिलास की ऊँचाई  को काट कर छोटा करके) आंख के ऊपर रख कर टेप चिपका दें या पट्टी बांध दें । दर्द के लिये एस्पिरिन  या आइबूप्रोफेन मिली दवायें न दें। ये दवायें रक्त को पतला करती हैं जिससे आंख से रक्त स्राव बढ़ सकता है।
• खुद शान्त और सन्तुलित रहें। घबरायें  नहीं और दूसरों को भी तसल्ली दें

पटाखे दिवाली जैसे खुशहाल और रौशनी वाले त्‍यौहार पर चार-चांद लगा देते हैं, लेकिन इनके प्रयोग के साथ ही कुछ सावधानियां अपनानी आवश्‍यक है:

सावधान रहें:
•    पटाखे जलाते समय पैरों में चप्पल या जूते ज़रूर पहनें।
•    पटाखे हमेशा खुले स्थान पर जलायें, कभी भी घर के अंदर या बंद स्थान पर पटाखे ना जलायें।
•    पटाखे जलाते समय आसपास में पानी रखें और घर में जल जाने पर लगायी जाने वाली दवाएं भी रखें।
•    अपने चेहरे को पटाखे जलाते समय दूर रखें।
•    पटाखें को शीघ्रजलने वाले पदार्थों से दूर रखें।
•    जल जाने पर पानी के छीटें मारें। 


क्या ना करें:

•    पटाखे कभी भी हाथ में ना जलायें क्योंकि ऐसा करने से पटाखों के हाथ में फटने की अधिक संभावना रहती है
•    विस्फोटक कभी भी हाथों में ना रखें
•    पटाखों को दीये या मोमबत्ती के आसपास ना जलायें
•    जब आपके आसपास कोई पटाखे जलाव रहा हो, तो उस समय पटाखों का प्रयोग ना करें
•    बिजली के तारों के आसपास पटाखे ना जलायें
•    अगर किसी पटाखे को जलने में बहुत अधिक समय लग रहा है, तो उसे दोबारा ना जलायें, बल्कि किसी सुरक्षित स्थान पर फेंक दें।
•    आधे जले हुए पटाखों को इधर–उधर ना फेंकें।
दीपावली वास्तु टिप्स




दिवाली की तैयारियों के बाद भी आप कुछ दिन तक थका-थका महसूस करते हैं। आपको तनाव, लगातार सिरदर्द, भूख की कमी, थकान की शिकायत इत्यादि होती रहती है। यह सब इसीलिए होता है क्योंकि आप दिवाली के बाद की थकान से अभी उबरे नहीं है। शरीर की थकान आपकी अभी तक गई नहीं है। इसीलिए थकान के समय आप काम करने में ही अक्षम है। इतना ही नहीं दिवाली के बाद बढ़े वजन को लेकर भी आपको चिंता सताने लगती है कि दिवाली के बाद वजन कैसे घटाएं जिससे तनाव भी बढ़ जाता है तो आइए जानें दिवाली के बाद की थकान को कैसे दूर करें।


  • दिवाली की तैयारियों में समय कैसे बीत जाता है, आपको पता ही नहीं चलता। दिवाली यानी आपकी सेहत का दिवाला। दरअसल, दिवाली सेलीब्रेशन के दौरान दोस्तो से मिलने-जुलने के समय तो आपको थकान का अंदाजा नहीं होता, लेकिन इसके बाद आप थका-थका महसूस करने लगते हैं।
  • त्यौहार खत्म करते ही जब आप हर काम से मुक्त हो जाते हैं, तब आपको शरीर की थकान महसूस होने लगती है।
  • इस थकावट के कारण कई बार तो आप ठीक से सो भी नहीं पाते। ऐसे में आपको नींद पूरी करने के लिए जरूरी है योग या प्राणायाम करना।
  • दिवाली के बाद थकान को दूर करने के लिए आप स्पा ट्रीटमेंट ले सकते हैं, इससे आपकी सारी थकान गायब हो जाएगी।
  • दिवाली के बाद आप रिलैक्स करने के लिए चेहरे के लिए फेस मास्क लें और मैनीक्योर, पैडीक्योर के साथ ही हेयर स्पा भी ले सकती हैं।
  • दिवाली के बाद आप सिर की तेल से अच्छी‍ तरह से मालिश करें, इससे आपको थकान दूर करने में बहुत मदद मिलेगी।
  • दिवाली के समय में आपकी आंखों, बालों और त्वचा पर बहुत नकारात्मक असर पड़ता है। ऐसे में इनकी केयर करना बहुत जरूरी है। ऐसे में आपको आंखों पर खीरे के पीस लगाने चाहिए और बालों को धोकर अच्छी तरह से कंडीशनिंग करनी चाहिए।
  • शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने के लिए आपको ताजे फलों का रस लेना चाहिए। इसके अलावा आपको अपनी पानी पीने की मात्रा को बढा देना चाहिए। संभव हो तो कुछ दिन के लिए गुनगुना पानी पीएं।
  • दिवाली के बाद थकान मिटाने के लिए आप सुबह उठकर एक्सरसाइज करें और कम से कम आधे घंटे टहलें। एक्सरसाइज से बढ़ा हुआ रक्त प्रवाह सेरोटोनिन जैसे खुशी के हॉर्मोस को रिलीज करता है और मूड को खुशनुमा बना देता है। इससे आप फ्रेश भी महसूस करेंगे।
  • थकान के समय आप संगीत सुनें, इससे आपको दोबारा न सिर्फ कमा पर दोबारा लौटने में मजा आएगा बल्कि आप मन से भी तरोताजा महसूस करेंगे।
  • मेडीटेशन से थकान मिटाने में बहुत मदद मिलती है। सुबह जल्दी उठकर मेडीटेशन करें।
  • सुबह के समय दूध वाली चाय या कॉफी पीने के बजाय आप ग्रीन टी लें।
  • थकान मिटाने के लिए जरूरी है कि आप सुबह उठकर शहद और नींबू पानी भी ले सकते हैं। इसके अलावा आप संतुलित और हल्का खान-पान लें। इससे आपको दिवाली की थकान को दूर करने में बहुत मदद मिलेगी।

सोमवार, 24 अक्टूबर 2011

क्या आप गैस से परेशान हैं?
पेट में गैस एवं खट्टी डकारें आम समस्या बन गई है। पेट की बीमारियों के अतिरिक्त गैस बनने की कई और भी स्थितियां हंै, जिनकी वजह से लोग परेशान रहते हैं।

किन बीमारियों में गैस बनती है
पाचन तंत्र की कई पुरानी बीमारियां जैसे पेप्टिक अल्सर, अमीबायोसिस, डायरिया, अपच, गैस्ट्राइटिस के कारण कई मरीजों में गैस बनने की शिकायत होती है। अमाशय में लगभग 0.4 फीसदी हाइड्रोक्लोरिक एसिड होता है, जो भोज्य पदार्थ के बडे अंश को छोटे-छोटे भाग में तोड़ने के काम आता है।

इसकी मात्रा में अचानक वृद्धि होने से अधिक मात्रा में गैस बनने लगती है, जो आगे चलकर अमाशय की भीतरी दीवार को नुकसान पहुंचाती है और धीरे-धीरे घाव बन जाती है। इसे पेप्टिक अल्सर कहते है। इस स्थिति में भी गैस बनने की मात्रा में अचानक वृद्धि हो जाती है और पेट फूलने के साथ-साथ पेट भराभरा-सा लगता है। कई तरह की संक्रामक बीमारियों जिसमें अमाशय की दीवार में सूजन हो जाती है तब भी भोजन को पचाने में सहायक अम्ल के स्राव में परिवर्तन हो जाता है और अधिक मात्रा में गैस का निर्माण होने लगता है।

पाचन तंत्र में भोजन को पचाने वाले कई ऎसे एंजाइम्स होते हैं, जिनमें कमी हो जाने की वजह से भोजन का पाचन ठीक से नहीं हो पाता है। परिणाम स्वरूप गैस की शिकायत होने लगती है। लैक्टेज नामक एंजाइम भोजन में पाए जाने वाले लैक्टोज को पचाने में सहायक होता है, जिसकी कमी से इसका पाचन ठीक से नहीं हो पाता है और गैस बनने लगती है। वे मरीज, जिनमें लैक्टेज एंजाइम की कमी होती है, दूध तथा दूध से बने खाद्य पदार्थ को पूरी तरह पचा नहीं पाते हैं।

ये है इलाज
यदि किसी बीमारी के कारण गैस बनती है, पेट फूल जाता है तथा पेट में दर्द होने लगता है, तो उसका इलाज किसी अनुभवी चिकित्सक से कराना चाहिए। जिन्हें पेट की कोई बीमारी नहीं है फिर भी पेट में गैस बनने की शिकायत रहती है, उन्हें तीन बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। पहली बात- किसी खास भोज्य पदार्थ के लेने पर ही तो कहीं गैस नहीं बनती है। यानी उससे एलर्जी तो नहीं है, ऎसी स्थिति में तुरंत उसका सेवन बंद कर देना चाहिए।

दूसरी बात- कहीं आप अधिक गैस बनाने वाला भोजन तो नहीं करते हैं, जैसे- सेम, मटर, केक, कार्बोनेट युक्त सामग्री, खट्टा फल, फूलगोभी, बंदगोभी, काजू, मुनक्का, सुपारी आदि। इनका सेवन भी बंद कर दें। तीसरी बात- आप नियमित रूप से भोजन करने की आदत डालिए। समय पर नाश्ता तथा भोजन करने पर गैस की शिकायत अपने आप बंद हो जाएगी। भोजन को चबा चबाकर इत्मिनान से करना चाहिए।

ज्यादा तेल, मिर्च, तला हुआ मसाला तथा अधिक गरिष्ठ भोज्य पदार्थ नहीं करना चाहिए। भोजन में हरी सब्जी का सेवन करें। जितना खाने में पेट भर जाए, उससे थोड़ा कम खाना खाए तो भोजन पचाने में आसानी होती है। भोजन करने के आधा-एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद काम करने नहीं बैठें। जो शारीरिक श्रम नहीं करते हैं, पेट में गैस बनने की शिकायत रहती है।

यदि पेट तथा हाजमा ठीक होगा तो आप शारीरिक तथा मानसिक दोनों तौर पर स्वस्थ रहेंगे। हाजमा ठीक नहीं रहने पर अन्य बीमारियों के साथ खून की कमी हो जाएगी और कमजोरी, दिल की धड़कन तीव्र होना, सिर चकराना, काम में मन नहीं लगना, मानसिक तनाव चिंता हो जाएगी। शारीरिक प्रतिरोध क्षमता घट जाएगी।

क्यों बनती है?
केवल बीमारी की स्थिति में ही पेट में गैस नहीं बनती। बीमारी तो एक कारण है ही, इसके अलाव भी भोजन करते समय बहुत बड़ी मात्रा में (2 से 6 फीसदी) हवा पेट में जाती है। आंत में पाए जाने वाले विभिन्न बैक्टीरिया तथा रक्त संचालन द्वारा भी गैस पाचन तंत्र में पहुंचती है, जो डकार द्वारा मुंह से बाहर बीच-बीच में निकलती रहती है। इससे मरीज को कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन इसका जो भाग नहीं निकल पाता है, अमाशय तथा आंत में रह जाता है और बाद में पेट फूलने का कारण बनती है। कई बार तो पेट में दर्द होने लगता है।
फल खाओ, सेहत बनाओ 
ल खाओ सेहत बनाओ। यह बात तो सभी कहते और जानते हैं। लेकिन कौन सा फल किस तरह शरीर के लिए लाभदायी है, यह बात कम ही लोगों को पता होगी। फलों में पाए जाने वाले एलिमेंट्स, विटामिन और एसिड किस प्रकार हमारी बॉडी सिस्टम को ठीक रखते हुए रोगों से रक्षा करते हैं। इन सभी सवालों का जवाब देती है, विशेषज्ञों की फलों से जुड़ी लाभदायक जानकारियां।

सेब
यह मिनरल्स, विटामिन्स का अच्छा स्त्रोत है। साथ ही इसमें पोटेशियम, सोडियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम तथा सल्फर पाया जाता है।

फायदे- बीमारियां दूर भागती हैं। रोजाना एक सेब खाने से दिल की बीमारी का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा यह कब्ज, हाई ब्लड प्रेशर, पथरी में भी फायदेमंद होता है। कैंसर की संभावना कम हो जाती है। ब्लड में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती है।

केला
एनर्जी का अच्छा स्त्रोत है। इसमें फॉलेट, सोडियम, कैल्शियम, आयरन, ग्लूकोज, अमीनो एसिड पाया जाता है।

फायदे- ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल करने के साथ ही कब्ज और अल्सर में फायदेमंद होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता और स्टेमिना बढ़ाता है। विटामिन्स एंड मिनरल्स की कमी पूरी करता है।

संतरा
विटामिन सी, फॉलेट, पोटेशियम, सोडियम, सिट्रिक एसिड, आयरन, मैग्नीज, कैल्शियम पाया जाता है।

फायदे- दांत और मसूड़ों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। हाई ब्लड प्रेशर और किडनी स्टोन जैसी बीमारियों में भी फायदेमंद होता है।

अंगूर
विटामिन सी, ग्लूकोज भरपूर मात्रा में पाया जाता है। आयरन, पोटेशियम, फॉस्फोरस, विटामिन बी, ई तथा सोडियम क्लोराइड पाया जाता है।

फायदे- एनर्जी का अच्छा स्त्रोत है। ब्लड को प्यूरीफाई करने के साथ ही हार्ट अटैक और कैंसर के खतरे को कम करता है। अस्थमा तथा कब्ज के मरीज के लिए भी फायदेमंद है। अंगूर का जूस पीने से डाइजेशन सिस्टम मजबूत रहता है। इंफेक्शन के चांस कम हो जाते हैं।

पाइनएप्पल
मिनरल्स, विटामिन बी, सी, के, फॉलेट, कार्बोहाइड्रेट, वसा, कैल्शियम, फॉस्फोरस और एन्जाइम्स पाए जाते हैं।

फायदे- ब्लड प्यूरीफाई करने के साथ ब्लड सर्कुलेशन भी बढ़ाता है। हçaयों को मजबूत करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। साथ ही इसके सेवन से पाचन की क्रिया सही रहती है। सर्दी, खासी, सूजन आदि में लाभदायक होता है। आंखों की रोशनी बढ़ती है।

पपीता
विटामिन ए, सी, ई और बीटा कैरोटिन पाया जाता है। साथ ही सिलिकॉन, पोटेशियम, कैल्शियम, कॉपर, फॉलेट, फ्रक्टोस तथा फाइबर भरपूर मात्रा में पाई जाती है।

फायदे- डाइजेशन सिस्टम ठीक रहता है। ये ह्वदय रोग, डायबिटीज, आंत व पेट की बीमारियों में भी फायदेमंद है। पपीता त्वचा और आंखों के लिए बेहद उपयोगी होता है। हçaयों को मजबूत रखता है।

मोसमी
विटामिन सी, पोटेशियम, आयरन, फॉलेट, अमीनो एसिड, जिंक, विटामिन बी पाया जाता है।
फायदे- आर्टरीज की रक्षा करने के साथ ही कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करता है। वजन कम करने में सहायक है। डाइजेशन सिस्टम ठीक रहता है। पथरी, निमोनिया, सर्दी और बुखार में फायदेमंद है। नियमित सेवन से चेहरे पर निखार आता है।

अनार
एंटीऑक्सीडेंट, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, सोडियम, विटामिन सी, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन पाया जाता है।

फायदे- आंत सम्बन्धी रोग दूर हो जाते हैं। डाइजेशन सिस्टम ठीक रहता है। हाई ब्लड प्रेशर, सूजन, जलन, जोड़ों का दर्द कम करने के साथ ही कैंसर से भी बचाव करता है। वृद्धावस्था में अल्जाइमर रोग होने के चांस कम हो जाते हैं। 
Weight Loss Tips
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Tips for Easy and Fast Weight Loss:

Tip 1: Must drink minimum 8 glasses of water in a day.

Tip 2: Juices, cream, sugar in your coffee or tea all add up.

Tip 3: Water helps in reducing weight in effective manner.

Tip 4: Have 5 to 6 small meals or snacks in a day.

Tip 5: Make habit of walking. Walk for at least 45 minutes.

Tip 6: Eat more vegetables like zucchini, tomatoes.

Tip 7: Eat only when your stomach wants food.

Tip 8: Avoid package (processed) and convenient foods.

Tip 9: Take stairs instead of taking elevator. More Tips

Tip 10: Eat fruit rather than juice, low in calories helps.

Tip 11: Eating whole foods will keep you satisfied for longer period of time than juice.

Tip 12: Eat equal portions of vegetables and grains at dinner. Prefer not eating with a large group.

Tip 13: After every 2 hours, get up and walk around the office or your home for 5 minutes.

Tip 15: A brisk five-minute walk after every two hours will your body active.

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अमरूद अर्थात जामफल कब्ज और पेट के रोगों के लिए बहुत किफायती है। अमरूद के अंदर विटामिन, मिनरल और फाइबर प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं। अमरूद को सर्दियों में फलों को राजा भी कहा जाता है। अमरूद यानी अमृत-सा मीठा फल। ऐसा फल जो डायटिबीज जैसे ही कई रोगियों के रोग नष्ट करने में कारगर है। इसके अलावा भी अमरूद में कई गुण है। आइए जानें अमरूद के सारे गुणों के बारे में।

  • अमरूद में मौजूद पौष्टिक तत्व शरीर को फिट और स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
  • अमरूद में मौजूद फाइबर हमारे मेटाबॉलिज्म को ठीक रखता है इसलिए कब्ज पीडि़त लोगों को अमरूद खाना चाहिए।
  • स्वस्थ आंखों के लिए अमरूद में मौजूद विटामिन ए लाभकारी है।
  • सिर्फ अमरूद ही नहीं बल्कि अमरूद की पत्तियों को चबाने से सांसों में ताजगी और मसूड़ों में मजबूती आती है।
  • अमरूद में मौजूद तत्वों के कारण वजन ठीक रहता है। इतना ही नहीं अमरूद में पाए जाने वाले विटामिन ए, बी, सी और पोटैशियम त्वचा में निखार लाते है। साथ ही त्वचा को दाग-धब्बों और मुंहासों से भी बचाते  है। 
  • जिन लोगों में विटामिन सी की कमी होती है उन्हें अमरूद खाना चाहिए। इतना ही नहीं जिन लोगों का ब्लड प्रेशर और कॉलेस्ट्रोकल अधिक होता है, उसे अमरूद के सेवन से नियं‍त्रि‍त किया जा सकता है।
  • खांसी से निजात पाने के लिए अमरूद फायदेमंद फल है।
  • अमरूद खाकर मोटापा कम किया जा सकता है साथ ही एसीडिटी, अस्थमा, दाँत और मसूढ़ों के दर्द, हृदय से संबंधित बीमारी, इत्यादि को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • निरोगी काया पाने, फिट रहने और तमाम बीमारियों को नियं‍त्रित करने के लिए अमरूद खाना फायदेमंद है। इसीलिए अमरूद को मौसम के समय प्रतिदिन खाना चाहिए।

सर्दी जुकाम में कैसा हो खानपान