सुबह उठकर तरोताजा महसूस करने के लिए हलका-फुलका व्यायाम जरूर करना चाहिए, ताकि पूरे दिन शारीरिक, मानसिक रूप से ऊर्जावान बनी रह सकें।
अकसर सुबह नींद खुलने पर आप थोड़ी सुस्ती और आलस्य महसूस करती हैं, मन करता है कि बस थोड़ी देर और सो लें, कुछ देर यूं ही आंखें मूंदें पड़े रहें। श्वास संबंधी व्यायाम आपकी सुस्ती को दूर भगाने में मदद करता है। दिल्ली की फिटनेस सलाहकार मिनी थापर सुस्ती दूर करने के लिए बताती हैं कि फेफड़ों को पूरी तरह खोलने के लिए और भरपूर ऑक्सीजन ग्रहण करने के लिए कुछ देर गहरी सांसें लें। फर्श पर चटाई बिछाकर या तो बिलकुल सीधी खड़ी हो जाएं या फिर पालथी मारकर बैठ जाएं। गहरी सांसें लें, ताकि आपके फेफड़ों में शुद्ध वायु प्रवेश कर सके। अपनी पसलियों को फैलाएं, सांस को भीतर फेफड़ों तक खींचें, थोड़ी देर ऐसे ही रहें। अब धीरे-धीरे अपनी नाक से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को रोज सुबह पांच-दस मिनट तक दोहराएं।
संकल्प की ताकत
मिनी कहती हैं कि दिन की शुरुआत सकारात्मक संकल्प से करें, यह पूरे दिन आपको रचनात्मक ऊर्जा प्रदान करेगा। यदि आप कार्यस्थल और घर की तमाम समस्याओं को निपटाना चाहती हैं तो मन में कुछ संकल्प जरूर लें। लगातार मस्तिष्क में ये शब्द दोहराते समय इनमें छिपा संदेश आपके अवचेतन में जाकर समा जाता है और यह प्रत्यक्ष तौर पर फायदा पहुंचाता है।
सुबह कुछ देर किसी पार्क में जॉगिंग जरूर करें या तेज कदमों से चलें या फिर प्रकृति के बीच थोड़ी देर बैठें। दरअसल यही वह समय होता है जब आप अपने पूरे दिन के लिए ऊर्जा ग्रहण करती हैं। अब यदि आपने कोई संकल्प लिया है तो उस पर विचार करें। जैसे, 'मैं जैसी हूं, उसी रूप में खुद से प्यार करती हूं', 'मैं ऑफिस में बॉस या सहकर्मियों के साथ बेहतर और खुशगवार संबंध रख सकती हूं', 'मैं दूध वाले या महरी से रोज की चिकचिक को आसानी से सुलझा सकती हूं' या फिर 'बच्चों की पढ़ाई-कैरियर को लेकर हमेशा बने रहने वाले तनाव को खत्म कर सकती हूं..।'
इन बातों को अवचेतन में दोहराती रहें, ठीक वैसे ही जैसे हम बच्चों से मुहावरे या कविता की पंक्तियां दोहराने को कहते हैं। जब भी कोई नकारात्मक विचार या सवाल जेहन में उठने को हो, अपने संकल्पों को दोहराएं।
दोपहर की थकान को बदलें चुस्ती में
दोपहर का समय वह होता है जब आपका ऊर्जा स्तर गिरने लगता है और खुद को दोबारा से ऊर्जावान बनाना जरूरी होता है।
मिनी कहती हैं कि दोपहर के समय आप दस मिनट अपनी सभी अवांछित फाइल्स, कार्यक्रम, चिट्ठी-फोन और ईमेल निपटाने के बारे में सोचें। एक बार जरूरी कार्य निपट जाएं तो थोड़ा सुस्ता लें। कोई सुगंधित ऑयल लेकर माथे पर लगा लें, इससे आपको राहत महसूस होगी।
यूकेलिप्टस, लेमनग्रास या रोजमेरी के सुगंधित ऑयल की चार बूंद किसी छोटी सी बोतल में लें। इसमें आधा पानी भरकर आसपास इसका छिड़काव करें। घड़ी की दिशा के अनुसार अपने चारों ओर स्प्रे करें, कोने में, डेस्क या कंप्यूटर के आसपास भी स्प्रे कर सकती हैं।
काम के दबाव से बचने के लिए
मिनी थापर बताती हैं कि डेस्क या टेबिल पर कोहनी टिकाकर बैठें, हाथों को सीने के सामने से लाते हुए हथेलियों को गालों के ऊपर से लाते हुए अपनी आंखें बंद करें। यदि आप घर में हैं तो लेटकर भी यह प्रक्रिया दोहरा सकती हैं, लेकिन अपने घुटनों को मोड़ लें।
दोनों हथेलियों को तब तक साथ रगड़ें जब तक कि वे गर्म न हो जाएं और फिर उन्हें बंद आंखों के ऊपर रखें। गहरी सांसें भरें, इस तरह कि बंद आंखों के अंधेरे को महसूस कर सकें, थकी आंखों पर हथेलियों की गर्माहट का अनुभव करें। इसे महसूस करते हुए मस्तिष्क को खाली कर लें। गहरी सांसें लें, किसी भी समस्या और तनाव का अनुभव न होने पाए। पांच-दस मिनट तक ऐसा करें। शाम के समय भी कुछ ऐसा करें कि दिन भर की थकान मिट सके।
नृत्य करें, कुंठा दूर भगाएं
नृत्य एक बेहतरीन उपचार है, जो दिखाता है कि कैसे व्यक्ति शारीरिक गतिविधियों के जरिये भावनात्मक उथलपुथल से उबर सकता है। यदि आप थकी हुई हैं, ऑफिस की परेशान कर देने वाली राजनीति से बेहाल हैं और दिमाग को इस जंजाल से निकालना चाहती हैं तो नृत्य बहुत अछा रहेगा। व्यस्त दिनचर्या के बाद शाम को आप नृत्य अभ्यास कर सकती हैं। पैर थिरकने के साथ-साथ आपमें ऊर्जा का संचार होता जाता है।
उस कमरे को साफ-सुथरा और खाली रखें जहां आपको नृत्य करना है, कमरा थोड़ा गर्म हो, वहां पर्दे लगा दें, रोशनी हलकी रखें, फोन का रिसीवर अलग हटाकर रख दें ताकि व्यवधान न पड़ सके। ढीले-ढाले सुविधाजनक कपड़े पहनें। शुरू में धीमे संगीत से नृत्य आरंभ करें, कुछ तेज और ऊर्जा देने वाला नृत्य करें। यदि कोई गीत बज रहा हो तो उसके साथ-साथ खुद भी गुनगुनाएं। संगीत की धुन को अपने भीतर बजने दें और उसकी अभिव्यक्ति के लिए पैरों, बांहों, कंधों और हथेलियों की गतिविधि को माध्यम बनाएं। लगभग दस मिनट तक रोज इस तरह नृत्य करने से न सिर्फ तनाव से राहत मिलती है, बल्कि दिन भर हम जिस ईष्र्या, द्वेष, कुंठा के घेरे में रहते हैं, उससे भी काफी हद तक निजात मिलती है।
आसान क्रियाएं राहत पहुंचाएं
मिनी कहती हैं यदि आप दफ्तर से गर्दन और कंधे के दर्द के साथ लौटती हैं तो नियमित व्यायाम जरूरी है। ऐसा करने से मांसपेशियों के दर्द में चंद मिनटों में ही राहत मिल सकती है।
फर्श पर चटाई बिछाकर बैठें। गर्म तौलिए को गर्दन के चारों ओर लपेट लें। कुछ सेकंड तक ऐसे ही रहें। इस क्रिया को छह बार दोहराएं।
तौलिए के दोनों किनारों को खींचकर पकड़ें और अपने कंधे के चारों ओर लपेटें। उंगलियों का हलका सा दबाव पिछले कंधे पर बनाए रखें। हथेलियों को इधर-उधर घुमाती रहें ताकि कंधे पर दबाव बना रहे। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद तौलिया हटा लें। इसे छह बार दोहराएं। व्यक्ति स्वाभाविक तौर पर सदा स्वस्थ नहीं रह सकता, इसलिए फिट बने रहने के लिए निरंतर प्रयास की जरूरत होती है।
अपनाएं इन बातों को भी
फिट रहने के लिए योग-ध्यान, सुबह की सैर के साथ जरूरी है कि जो भी खाएं, शरीर की जरूरतों के हिसाब से खाएं। फिटनेस सलाहकार मिनी कहती हैं कि पाचन क्रिया सुचारु होनी चाहिए। थकान या सुस्ती होने पर लेटकर या बैठकर पीठ संबंधी व्यायाम करने से फायदा होता है। हमारा तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) मस्तिष्क से संचालित होता है, छिटपुट व्यायाम करने से दिमाग सक्रिय व सकारात्मक ढंग से सोचने लगता है, जिसका फायदा शरीर को होता है। यदि आप दिन भर कुर्सी पर बैठे रहते हैं तो अनुलोम-विलोम लाभदायक होगा। सुबह सूर्योदय से पहले खाली पेट प्राणायाम करना भी अछा होता है। कपालभारती व वज्रासन भी ठीक होता है।
तनावमुक्ति के लिए कुछ अन्य क्रियाएं कर सकती हैं:
1. कुर्सी पर बिलकुल सीधी बैठें, आंखें बंद करें और भीतर से गहरी सांस लें।
2. धीरे-धीरे सांस लेते हुए महसूस करें कि तपती दुपहरी में आप मैदान में बैठी हैं। आसमान साफ नीला है, लेकिन बादल का एक घना टुकड़ा सूरज को ढांप रहा है। ठीक यही दृश्य अपने शरीर के आसपास भी स्थित करके सोचें कि वहां भी कोई बादल का टुकड़ा है, जो उस चुस्ती को कम कर रहा है।
3. देखें कि बादलों का वह घना टुकड़ा छोटा और छोटा होता जा रहा है, सूरज साफ चमकने लगा है, इसकी गर्माहट को तब तक महसूस करें जब तक कि सूरज बादल के आखिरी टुकड़े को नहीं मिटा डालता, जब तक कि शरीर में दर्द का-तनाव का-दबाव का थोड़ा सा भी अंश बचा रह जाता है। अब पूरे शरीर में सूरज की पीली ऊर्जा देने वाली रोशनी को महसूस करें।
5. जूते-मोजे उतार लें, हरी घास पर नंगे पैर टहलें। पृथ्वी की ऊर्जा महसूस करें, ताजा हवा भीतर खींचें। हरियाली को आंखें बंद कर कल्पना में महसूस करें।
6. पांच-दस मिनट तक घास पर टहलें, मिट्टी की सोंधी गंध को नथुनों से-फेफड़ों से खींचें।
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